रविवार, 13 फ़रवरी 2011

डायबेटिक कीटो-एसिडोसिस क्या है ?

मधुमेह रोग में ब्लड सुगर पर नियंत्रण न रख पाने की स्थिति में शरीर का पूरा मेटाबोलिज्म (अपचयन प्रक्रिया )/चय -अपचय बुरी तरह बिगड़ जाता है असर ग्रस्त हो जाता है .ऐसे में रक्त में मौजूद अम्ल कीटोन्स में तब्दील होने लगतें हैं .यहाँ तक की इनके बेतरह बढ़ जाने की स्थिति में डायबेटिक कोमा की स्थिति पैदा हो जाती है ।
इस स्थिति में मरीज़ के शरीर से अमोनिया की विशिष्ट गंध आने लगती है ।
यही डायबेटिक कीटो -एसिडोसिस है जिसकी पुष्टि के लिए /रोग निदान के लिए मरीज़ के मूत्र का नमूना लेकर उसमे कीटोन बॉडीज की जांच की जाती है ।
ऐसे रोगी नसों द्वारा (इंट्रा -वीनस )इंजेक्सन की मदद से सोडियम बाई -कार्बोनेट दिया जाता है .इंसुलिन देकर ब्लड सुगर पर नियंत्रण स्थापित किया जाता है .लेकिन ब्लड सुगर को इक दम नीचे जाने से भी रोकना होता है ।
काज ऑफ़ डायबेटिक कीटो -एसिडोसिस ?
इट इज ए मेटाबोलिक स्टेट रिज़ल्टिंग फ्रॉम ए प्रोफाउंड लेक ऑफ़ इंसुलिन ,युज्युअली फाउंड ओनली इन प्राई-मेरी दाय्बेतिक्स (टाइप -१ डायबेटिक मिलाइतास).इनेबिलिती टू इन्हिबित ग्लूकोज़ प्रो -दकसन फ्रॉम दी लीवर रिज़ल्ट्स इन हाई -पर -ग्लाइ -सीमिया व्हिच कैन बी एक्सट्रीम एंड लीड टू सीवियर दी -हाई -द्रेसन ।
दी कन -करेंट फेलियोर टू सप्रेस फेटि एसिड प्रो -दकसन फ्रॉम एडिपोज़ तिस्यु रिज़ल्ट्स इन दी एक्सेस कन -वर्सन ऑफ़ फेटि एसिड्स टू कीटोन्स इन लीवर (कीतोसिस ).एंड दी डिवलपमेंट ऑफ़ ए मेटाबोलिक एसिडोसिस व्हिच कैन बी सीवियर .

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