गुर्दे हमारे शरीर के छलने ?छलनी हैं सफाई कर्मचारी हैं जो गंदगी को बाहर कर देतें हैं पोषक तत्वों को रोक लेतें हैं .किडनी फेलियोर का मतलब है गुर्दे ठीक से काम नहीं कर पा रहें हैं अपनी पूरी क्षमता के साथ .८० %तक नष्ट हो चुके हैं ।
यदि गुर्दे १५-२० %भी काम करते रहें तो कोई बुराई नहीं ,गुज़ारा हो जाता है लेकिन गुर्दों का ८०%से ज्यादा खराब हो जाना दाय्बेतिक -नेफ्रो -पैथी के तहत आता है .(नेफ्रोलोजी चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जिसके तहत गुर्दों की बीमारी का अध्ययन ,निरीक्षण ,जांच तथा प्रबंधन किया जाता है .नेफ्रो -पैथी रेफर्स टू दीजीज़ ऑफ़ दी किडनी ,गुर्दों के रोगों को नेफ्रो -पैथी कहा जाता है .).दाय्बेतिक नेफ्रो -पैथी अनियंत्रित ब्लड सुगर का नतीजा है .जिसकी वजह मधुमेह रोग में ला -परवाही बनती है ।)।
दाय्बेतिक नेफ्रो -पैथी से बचाव :ब्लड सुगर को नियंत्रित (मान्य -
रेंज में बनाए रहना ) पहला बचावी उपाय है .गुर्दे खराब हो जाने की दशा में मधुमेह में प्रयुक्त दवाएं और भी ज्यादा असरकारी हो जातीं हैं .ब्लड सुगर नियंत्रित हो जाने का भ्रम पैदा करती है .मरीज़ सोचता है सब कुछ ठीक हो गया .वह अपने दाय्बेतेलोजिस्त को बतलाता है मैंने ब्लड सुगर को नियंत्रित और विनियमित (रेग्युलेट )कर लिया है .जबकि यह गुर्दे खराब होने का संकेत होता है .वांछित जांच की गुंजाइश पैदा हो जाती है ज़रुरत भी ।
एंटी -दाय्बेतिक पिल्स और सुइंयाँ इंसुलिन की बंद करनी पड़तीं हैं .हाइपो -ग्लाई -सीमिया से बचना पड़ता है ।
जांच में प्रोटीन की कमी पाए जाने पर प्रोटीन युक्त पदार्थ दिए जातें हैं .हाई -पर -टेंसन पाए जाने पर एंटी -हाई -पर -तेंसिव दवाएं दी जातीं हैं .ताकि रक्त चाप मान्य रेंज में रहे ।
यूरिया ,क्रियेतिनाइन का स्तर अधिक होने पर नमक बंद कर देना चाहिए .डायलिसिस की भी ज़रुरत पडती है .गुर्दों के इक दम से नाकारा हो जाने पर पूरी तरह खराब हो जाने पर गुर्दा प्रत्या -रोपण किया जाता है ,बा -शर्ते गुर्दा मिल जाए मेचिंग डोनर का ।
प्रोटीन रितेंसन पाए जाने पर दाल ,पनीर जैसे अन्य प्रोटीन युक्त आहार नहीं लेने चाहिए ।
दाय्बेतिक नेफ्रो -पैथी के मरीज़ को क्रियेताइन तथा यूरिया की जांच करवाते रहना चाहिए .यदि यह स्तर १.५मिलीग्राम % प्रति देस्सिलितर से ज्यादा हो तो यह गुर्दों की खराब अवस्था का सूचक है .साफ़ साफ़ इशारा है .जिसे दायिसिस द्वारा दुरुस्त किया जा सकता है ।
दो तरह की डायलिसिस उपलब्ध है ।
(१)पेरी -टोनियल डायलिसिस ।
(२)साधारण डायलिसिस .
बुधवार, 16 फ़रवरी 2011
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