काम करने की ताकत और शरीर का आवश्यक न्यूनतम तापमान बनाए रखने के लिए हमें कार्बो -हाई -ड्रेट्स की ज़रुरत पडती है .खेलने कूदने फांदने में दिन भर की भागदौड़ में यह एनर्जी प्रदान करते हैं शक्ति दाता हैं .प्रतिग्राम कार्बो -हाई -ड्रेट्स औसतन ४ किलोकेलोरीज़ (फ़ूड केलोरीज़ )मुहैया करवातें हैं ।
गेंहू ,चावल ,ज्वार ,बाजरा ,रागी कार्बो -हाई -ड्रेट्स मुहैया करवातें हैं .कार्बन ,हाइड्रोजन ऑक्सीजन से एक निश्चित अनुपात में मिलकर बनतें हैं कार्बो -हाई -ड्रेट्स ।
इनकी किस्मे हैं :
(१)मोनो -सेक्राइड्स.(२)डाई -सेक्राइड्स (३)पोली -सेक्राइड्स ।
मोनो -सेक्राइड्स इनका सरल रूप हैं -ग्लूकोज़ ,लेक्टोज़ ,सुक्रोज इनके उदाहरण हैं .सब्जी तथा शहद से हमें ग्लूकोज़ तथा फ्रक्टोज ,चीनी से सुक्रोज तथा दूध से लेक्टोज़ मिल जाता है .बेबी फूड्स में लेक्टोज़ ही होतें हैं ।
दो मोनो -सेक्राइड्स के मेल से डाई -सेक्राइड्स तथा दो से अधिक के मेल से पोली -सेक्राइड्स बनतें हैं .पशुओं से प्राप्त उत्पादों में ग्लाइकोजन (ए पोइसेक्राइद फाउंड इन दी लीवर एंड मसल्स देट इज इज़ीली कन्वार्तिद टू ग्लूकोज़ फॉर एनर्जी .)पाए जातें हैं ।
कार्बोहाई -ड्रेट्स का अंतिम उत्पाद ग्लूकोज़ है यानी कार्बो -हाइड्रेट्स जब हमारे भोजन के साथ पेट/आमाशय में पहुंचतें हैं तब पचने के बाद ग्लूकोज़ बन रक्त में शामिल हो जातें हैं .इसीलिए इनके सेवन के बाद रक्त में ब्लड ग्लूकोज़ बढ़ जाता है .खाना खाने के इक घंटा बाद ही रक्त में ब्लड ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाता है .
मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011
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