कब सीने में दर्द और एंजाइना का मधुमेह रोगी को पता ही नहीं चलता ?
मधुमेह पुराना और लापरवाही बरतने पर मरीज़ न्यूरो -पैथी(डीज़ीज़ ऑफ़ दीनर्व्ज़) का शिकार हो जाता है .न्यूरो -पैथी होने पर नाड़ियाँ इतना कमज़ोर पड़ जाती हैं वे दर्द के एहसास को दर्द के संवेदन /सिग्नल को दिमाग तक नहीं पहुँचा पातीं .एंजाइना का दर्द अकसर काम करते चलते फिरते होता है .अकसर हृदय के बाई और से उठकर यह दर्द रेडियेट करता है कन्धों से होता ऊंगलियों तक ,कमर ,दाद दांत कहीं भी तो पहुँच सकता है यह दर्द लेकिन मधुमेह के पुराने और लापरवाह मरीज़ को जिसकी ब्लड सुगर अनियंत्रित रहती है इस दर्द का एहसास ही नहीं होता .ऐसे में दिल का बड़ा दौरा कभी भी चुपके से दबे पाँव चला आता है .यही इन मधुमेह रोगियों में सायलेंट किलर (हार्ट अटेक)हृदय रोग की वजह बन जाता है ।
ज़रूरी नहीं है सभी मधुमेह रोगियों के साथ ऐसा ही हो .चलते फिरते उनकी सांस ज़रूर फूलती है ,सांस लेने में कठिनाई होती है जैसे कहीं धुयें में फंस गए हों ।
इसलिए मधुमेह के प्रति खबरदारी और प्रबंधन ज़रूरी है ,आवधिक जांच भी बदल सुगर की ,रक्त चाप की ,हृद रोगों की .
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