कैंसर और तुलसी :
(१)काली तुलसी (बासिल )के ४० हरे पत्ते घोंट -पीसकर प्रात :ताज़ा मीठा दही(५० -३०० ग्राम आयु एवं अवस्था के अनुसार )के साथ लें .गर्भाशय कैंसर एवं ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया )में मुफीद आजमाया हुआ नुश्खा साबित हुआ है ।
(२)कैंसर की शुरुआत में ही तुलसी के २० पत्ते कुचल पीसकर पानी के साथ निगलने से आशातीत लाभ मिल सकता है .रोग मुक्ति भी .तुलसी के पत्तों में क्योंकि पारा (पारद /मरकरी )होता है जो दांतों के लिए ठीक नहीं है इसलिए इन्हें निगलना ही हितकर है ।
(३)कैंसर की अवस्था में तुलसी के ३०-३५ पत्ते दही में मथकर तैयार किये गए मट्ठे /छाछ /शीत /बटर मिल्क का सेवन सुबह शाम करें .छाछ और दही लगभग १-१.५ किलोग्राम लेने से अच्छे अनुभूत परिणाम मिलें हैं ।
(४)तुलसी की ५-७ पत्तियाँ पीसकर मीठे दही /शहद में मिलाकर एक बार खाली पेट लेते रहने से कैन्सर का नाश अनुभूत प्रयोगों में देखा गया है .कोई पार्श्व प्रभाव नहीं .
मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011
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