ब्रेन ट्यूमर :रोग निदान (डायग्नोसिस )और शल्य की नै नै तरकीबें आने से ब्रेन ट्यूमर उतना रहस्य मय नहीं रह गया है ।
हम जानतें हैं शरीर की आवश्यकता के अनुरूप हमारे शरीर की कोशिकाएं विभाजित होती हैं ,बढवार करती हैं .बुढ़ाने पर मर जातीं हैं .मरने वाली कोशिकाओं का स्थान नै पैदा कोशिकाएं लेती चलतीं हैं ।
जब कभी यह व्यवस्था भंग होती है ,कभी कभार ही हालाकि ऐसा होता है जब नै कोशिकाएं ज़रुरत न होने पर भी पैदा होने लगतीं हैं पुरानी मरने से इनकार कर देतीं हैं .मरना भूल जातीं हैं .बस यही अतिरिक्त कोशायें ऊतकों का एक पिंड खड़ा कर लेती हैं .ए मॉस ऑफ़ टिशु इज फोर्म्द .दिस इज ट्यूमर ।
कोई नहीं जानता यह गांठ /अर्बुद /ट्यूमर बनता क्यों है ?बस एक कयास भर है यह कुछ जीवन इकाइयों /जीवन खंडों /जींस में असामान्यता /एब्नोर्मलिती का नतीजा है .ऐसा हुआ हो सकता है .उम्र की सीमाओं को नहीं पहचानता ट्यूमर .आबाल्वृद्धों ,शिशुओं को भी बड़े बुजुर्गों को भी कभी भी ट्यूमर हो सकता है ।
प्राथमिक एवं सेकेंडरी ट्यूमर :
प्राई -मरी ट्यूमर :प्राथमिक ट्यूमर दिमागी ऊतकों (ब्रेन टिशुज़) में ही पनपतें हैं .
जब किसी और अंग का कैंसर दिमाग तक आ जाता है तब सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर पैदा होता है .सभी ट्यूमर मलिग्नेंत (संक्राम्य ,कैंसर -कारी )नहीं होतें हैं ,नॉन -कैन -सरस (बिनाइन ट्यूमर ).ट्यूमर को साफ़ करनेकरवाने के बाद मरीज़ सामान्य ज़िन्दगी जी सकता है .
क्योंकि कैंसर की मेटा स्तेसिस हो जाती है यह एक अंग से दूसरे तक पहुँच जाता है इसी लिए इसे सम्पूर्ण काया का जीवन शैली रोग कहा जाता है ।
जीवन शैली रोग इसलिये क्योंकि रेड मीट खाना ,सिगरेट शराब पीना ,गुटका ,पानमसाला चबाना हमारे हाथ में है .प्रजनन अंगों की साफ सफाई (हाइजीन )हमारे हाथ में है .कम उम्र में ज्यादा बच्चे कम अंतर से पैदा करते चले जाना हमारे हाथ में है .बात सिर्फ ब्रेन ट्यूमर की नहीं है .लीवर सिरोसिस की भी है ,लंग कैंसर ,सर्विक्स कैसर ,ओरल कैंसर की भी है .मुख कैन्सर की भी है ।
लक्षण क्या है दिमागी कैंसर /ब्रेन ट्यूमर के ?
ब्रेन प्रेशर बढ़ने से इसमें सिर दर्द ,मिचली /मतली /उलटी आना आम है .कुछ को एपिलेप्टिक फिट भी पड़ता है .ट्यूमर दिमाग के किस हिस्से में पनपरहा है लक्षणों का निर्धारण इस हिसाब से भी तय होता है .जिनमे हाथ -पैरों /लिम्बिक वीकनेस में कमजोरी आने से लेकर ,बीनाई (विज़न )का असरग्रस्त होना ,श्रवण का असरग्रस्त होना शामिल हो सकता है .संभाषण करने ,बोलने चालने में (स्पीच इम्बेलेंस )तथा चलने फिरने में असंतुलन पैदा हो सकता है ।
रोग निदान (डायग्नोसिस )क्या है ,कैसे हो रोग निदान आम भाषा में इस जड़ वाले फोड़े /ट्यूमर का ?
(१)मेडिकल हिस्ट्री देखने के अलावा रोगी का भौतिक परीक्षण (फिजिकल एग्जामिनेशन )भी एहम होता है ।
(२)रेडियो लोजिकल टेस्ट यानी 'सी टी स्कैन 'तथा 'एम् आर आई स्कैन 'उतारे जाते हैं ।
(३)कुछ मामलों में मेग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रो -स्कोपी तथा एन्ज्यो -ग्रेम (दिमाग की एंजियो -ग्राफी का आरेख /आलेख ) भी किया /लिया जाता है ।
इलाज़ :प्राथमिक त्युमर्स के मामले में सर्जरी को प्रशय दिया जाता है .बिनाइन त्युमर्स जैसे 'मेनिं- जियोमा '(ट्यूमर की एक किस्म जो बिनाइन यानी गैर -कैंसर -कारी होता है ),न्युरो -फाइब्रोमा ,अकाउसतिक न्युरोमा ,पिट -युइटरीट्यूमर में सर्जरी कामयाब है इन्हें निकाल दिया जाता है काट कूट कर .क्योंकि यह दूसरे अन्गों तक नहीं जाते ,निरापद असंक्राम्य होतें हैं इनकी मेटा -स्तेसिस नहीं होती ।
संक्राम्य ट्यूमर (मलिग्नेंत त्युमर्स /मलिग्नेंसी ) आसपास के दिमागी ऊतकों को भी जो दिमागी ट्यूमर के गिर्द होतें हैं असरग्रस्त करतें हैं इसलिये केवल शल्य /सर्जरी पूरा समाधान नहीं है ,इन्हें रेडियो -थिरेपी के अलावा ज़रुरत के मुताबिक़ कीमो -थिरेपी (रसायन चिकित्सा )भी दी जाती है .इन मेजोरिटी ऑफ़ केसिज ए रेडिकल दिकम्प्रेशन इज डन।
शुक्रिया कीजिये ऑपरेटिंग माइक्रो -स्कोपों का ,एनेस्थेटिक देने की नै नै तरकीबों का तथा न्युरो -सर्जिकल -इंटेंसिव केयर यूनिट्स का ,आज दिमागी जड़ वाले फोड़े की कामयाब सर्जरी मयस्सर है ।
स्मालर त्युमर्स के लिए 'गामा नाइफ रेडियो -सर्जरी "है जिसमेसंकेंद्रित विकिरण है गामा ,चाक़ू यानी चीड -फाड़ नहीं है .सरजन के सधे हुए हाथ हुनरमंद हाथ ब्रेन सर्जरी कोलगातार रोज़ -बा -रोज़ निरापद बना रहें हैं .
मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011
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