शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

मधुमेह के बे -काबू हो जाने पर कौन से कोम्प्लिकेसंस पैदा हो जातें हैं ?

मधुमेह के बे-काबू हो जाने पर पुराना हो जाने ,रोगी के लापरवाह हो जाने पर कुछ भी हो सकता है .कोरोनरी आर्टरी दीजीज़ ,डायबेटिक नेफ्रो -पैथी,न्यूरो -पैथी ,डायबेटिक रेटिनो -पैथी ,माइक्रो -एंजियो -पैथी ,एन -टेरो -पैथी ,डायबेटिक फुट ,गैंग्रीन .शरीर रोगों की आरामगाह बन जाता है .रोग आकर जाना भूल जातें हैं .पूरे परिवार का रोग बन जाता है यह ।
डायबेटिक नेफ्रो -पैथी में किडनियां ज़वाब दे जातीं हैं .पेशाब के साथ एल्ब्यूमिन आने लगता है .माइक्रो -एल्ब्यूमिन जांच के पोजिटिव आने का मतलब है पेशाब के साथ प्रोटीनों का डिस्चार्ज हो रहा है ,प्रोटीन शरीर से बाहर जा रहीं हैं ।
यूरिया तथा सीरम क्रियेतेनिन का स्तर बढ़ जाता है .गुर्दे ठीक से काम करना बंद कर्देतें हैं इस स्थिति में .इस स्तर के २मिलिग्राम % से ज्यादा होने का मतलब है गुर्दे ७०-८०%खराब हो चुकें हैं काम नहीं कर रहें हैं .नष्ट हो रहें हैं ।
न्यूरो -पैथी में मरीज़ की संवेदनशीलता घट जाती है .हाथ पैरों में सुईं चुभने झन -झनाहट का एहसास होता है.नींद ठीक से नहीं आती .पैरों को ठंड का एहसास नहीं होता । पैरों के किनारे की कोशिकाओं तक रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती .
रेटिनो -पैथी तो अंधत्व की इक बड़ी वजह बना हुआ है .कितने ही मामलों में मधुमेह की शिनाख्त ही नहीं हो पाती .लेटेन्ट बने रहतें हैं कितने ही रोगी अशिक्षा कि वजह से ,जागरूकता की कमी की वजह से .जब तक खबर होती है बहुत देर हो चुकी होती है .डायबिटीज़ आँखों के परदे को ले बैठती है ।
माइक्रो -एंजियो -पैथी में रेटिना की कोशिकाओं से खून रिसने लगता है .अवसाद ग्रस्त हो जाता है मरीज़ ।
डायबिटीज़ देर तक अनियंत्रित रह जाने पर पुरुष बाँझ हो जाता है ।
मधुमेह अनियंत्रित होने पर आंत की समस्या भी हो सकती है 'एन -टेरो -पैथी '/गैस्त्रा -इंतेस -ताइनल प्रॉब्लम हो सकती है ।
मधुमेह बेकाबू बने रहने पर टांगों का घाव भरने से इनकार कर देता है .देर सवेर गैंग्रीन हो जाता है जिसमे पाँव ही काटना पड़ता है .

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