स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त नहीं है पेट्रोल पम्पों के गिर्द १०० मीटर के घेरे में पड़ने वाले रिहाइशी इलाकों में रहना क्योंकि इन इलाकों की हवा में एयर बोर्न कारबनिक यौगिक बेंजीन जैसे प्रदूषकों का स्तर किसी भी बिजी ट्रेफिक लेन ,वाहनों की भीड़ वाले इलाकोंजैसा ही होता है . यहाँ की हवा में ये कैंसर पैदा करने वाले कार्बनिक यौगिक मौजूद रहतें हैं .यह पता लगाया है 'मुर्सिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर मर्तल दोवल ने ।
दरअसल इन इलाकों की हवा वाहनों से दहन के बाद निकलने वाले एग्जास्ट के अलावा इवापोरेतिद व्हीकल फ्युएल (ईंधन के हर तापमान पर उड़ते अणुओं ) ,बिना जले ईंधन के अणुओं से जो वाहनों से रिश्ता है लोडिंग अन -लोदिंद ऑपरेशंस के दरमियान ,लिक्विड स्पिलेजिज़ से उड़ते वाष्पित होते अणुओं आदि से लदी रहती है ।
इक सुरक्षित फासला इन रिहाइशी इलाकों का पेट्रोल पम्पों से होना चाहिए जो कमसे कम ५० मीटर का घेरा तो है ही .वरना नतीजा कैंसर के रूप में भुगतना पड़ सकता है .यह कहना है स्पेन के रिसर्चरों का जिन्होंने इस अध्ययन को दोवल के नेत्रित्व में संपन्न किया है .पेट्रोल पम्पों के गिर्द बने घरों के रहवासी सुरक्षित नहीं हैं .इनके घरों में यह खतरनाक कार्सिनोजन मौजूद रहता है चौबीसों घंटा .
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