गुरुवार, 5 मई 2011

जन्रेलाइज़्द एन्ग्जायती दिस -ऑर्डर :डायग्नोसिस .

"जन्रेलाइज़्द अंग्जायती डिस -ऑर्डर" का रोग निदान .
जब हफ़्तों महीनों क्या कमसे कम ६ माह तक घर बाहर ,दफ्तर स्कूल ,कामकाज की छोटी -छोटी बातों की एन्ग्जायती बे -हिसाब बढ़ी रहे .यूं बातें वहीँ होती है जो आम स्वस्थ आदमी की चिंता का भी विषय हो सकतीं हैं लेकिन यहाँ तो उसका अतिरेक बना रहता है .तब संदेह व्यक्त किया जा सकता है इस विकार का जिसे कहतें हैं "जी ए डी "।
अब ये भी कोई बात है आपने किसी को फोन किया और उसने काल रिटर्न नहीं किया और आपको यही चिंता खाए जा रही है -उसने काल बेक क्यों नहीं किया ,क्या असामान्य बात हुई होगी ,बस अनुमान के घोड़े बे -साख्ता दौड़ना शुरू करतें हैं ,थमने का नाम नहीं लेते .
डायग्नोस्टिक क्राई -टेरिया फॉर जन्रेलाइज़्द एन्ग्जायती :रोग निदान का बुनियादी आधार क्या है ?
व्यक्ति चाह कर भी दुश्चिंता से दामन (पिंड )नहीं छुडा पाता.रोक नहीं पाता दुश्चिंताओं को ।
एन्ग्जायती ,बे -चैनी नर्वस नेस कम से कम तीन या और भी ज्यादा नीचे बताये गए लक्षणों से सम्बद्ध रहती हो -
(१)गत ६ महीनो से यही दशा बे -चैनी की चली आरही हो जो वर्तमान में है .(२)रेस्ट -लेस -नेस ,कैसे भी चैन नहीं ।
(३)जल्दी से थकान का एहसास होना .(४)कहीं भी ध्यान का न टिक पाना ,माइंड गोइंग ब्लेंक ।
(५)झुंझलाहट ,इर्री -टे-बिलिटी।
(६)मसल टेंशन .पेशीय खिंचाव से माथे पे बल पड़े रहना ।
(७)नींद में खलल ,गहरी नींद ले पाना मुश्किल से आ भी जाए तो गहरी नींद का बने रहना मुश्किल .रेस्टलेस अन -सटिस- फाइंग, स्लीप .
एन्ग्जायती भी फ्लोटिंग एन्ग्जायती ,कोई धुरी नहीं है केंद्र नहीं है इस एन्ग्जायती का ,जल्दी जल्दी फोकस बदल रहा है ."पेनिक दिस -ऑर्डरके तरह" यहाँ एन्ग्जायती का केंद्र डर"पेनिक अटेक का "नहीं है ,फोकस डर,फीअर ऑफ़ फीअर है ही नहीं .सोसल फोबिया की तरह जन -समूह में शर्म से पानी पानी होने की शर्मिंदगी भी नहीं है यहाँ .ओब्सेसिव इम्पल्सिव (कम्पल्सिव )दिस -ऑर्डर की तरह यहाँ संदूषित कांटा -मिनेट होने का डर भी नहीं है (हाथ धौ रहें हैं तो धोये ही जा रहें हैं सोचते हुए अरे हाथ मिलाया ही क्यों जब हाथ मिलाने से छूत लग सकती है ),यानी फीयर ऑफ़ कांटा -मिनेशन भी यहाँ नहीं है .अपनों से विछोह का भी दुःख चिंता बोध नहीं है जैसा सेपरेशन एन्ग्जायती दिस -ऑर्डर में हो जाता है ।
मोटे हो जाने की भी चिंता नहीं है जैसी एनारोक्सिया नर्वोसा में हो जाती है ,सोमातिज़ेशन दिस -ऑर्डर भी नहीं है यह जिसमे तमाम तरह की कायिक शिकायतें पैदा हो जातीं हैं .गंभीर बीमारी लगने की स्वास्थ्य के प्रति वहम की भी चिंता नहीं है यह (हाई -पो -कोंड्री -याक पर्सनेलिटी ,रोग भ्रमी -मन ,मानस ),पोस्ट त्रौमेतिक स्ट्रेस डिस -ऑर्डर जैसा भी कुछ नहीं है यहाँ ,ऐसा तो कोई खौफनाक अनुभव ही नहीं हुआ है यहाँ ,यहाँ तो बिला ख़ास वजह के ज़रुरत से ज्यादा स्थिति के गैर -अनुपातिक चिंता है ।
यहाँ तो ऐसी एन्ग्जायती है ,चिंता है ,हताशा है जिससे कायिक लक्षण भी पैदा हो गएँ हैं ,सामाजिक और व्यावसायिक काम करने में भी खासी दिक्कत जब तब आने लगी है .आये दिन की गैर हाजिरी स्कूल कोलिज दफ्तर से ,वर्क प्लेस से ।
और यह शरीर -क्रिया -वैज्ञानिक लक्षण किसी सब्सटेंस एब्युस ,किसी दवा दारु से पैदा नहीं हुए हैं ,जनरल मेडिकल कंडीशन भी इसकी वजह नहीं बनी है .मसलन हाई -पर थाई -तोइदिज़्म की वजह से नहीं पैदा हुई है यह चिंता और यह शरीर क्रिया वैज्ञानिक परिवर्तन ,मूड डिस ऑर्डर ,साईं -कोटिक डिस -ऑर्डर भी नहीं है यह ,पर्वेसिव डेव- लप- मेंटल डिस -ऑर्डर भी नहीं है यह ।
ओरगेनिक कौज़िज़ ऑफ़ जर्नेलाइज़्द एन्ग्जायती :ये एन्ग्जायती कुछ मेडिकल और नीचे दी हुई सब्सटेंस रिलेटिड स्थितियों में भी पैदा हो सकती हैं :
(१)दिल की बीमारियाँ ।
(२)हाई -पर -थाई -रोइदिज़्म(पसीना छूटना ,चिड -चिडा -पन )।

(३)हाई -पो गले -सीमिया (ब्लड सुगर का मान्य स्तर से नीचे आजाना )।
(४)दिल का दौरा ।
(५)पल्मोनरी एम्बोलस(ब्लड क्लोट इन पल्मनरी आर्टरी )।
(६)टेकी -कार्डिया (इन -क्रीज्ड)।
(७)टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी ।लेकिन यहाँ यह आनुषांगिक होती है .
(ज़ारी ...).

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