हालाकि "एम् एस "में आनुवंशिकी का रोल क्या है ,यह स्पष्ट नहीं है ,लेकिन योरोपी जिप्सीज़ ,एस्किमोज़ तथा अफ़्रीकी बंटू मल्तिपिल स्केलेरोसिस से बचे रहतें हैं इन्हें यह औटो -इम्यून डिजीज नहीं होती है ।
बंटू इज ए मेंबर ऑफ़ ए लार्ज ग्रुप ऑफ़ पीपुल लिविंग इन इक्वेटोरियल एंड सदरण अफ्रिका .
उत्तरी और दक्षिणी अमरीका के मूल निवासियों (नेटिव इंडियंस ऑफ़ नोर्थ एंड साउथ अमेरिका )जापानी और एशियाई समूहों में भी इसकी इन्सिदेंस कम देखी गई है ।
आम आबादी में इस रोग के होने की संभावना एक फीसद से भी कम ही रहती है .अलबत्ता उन परिवारों में रोग के होने की संभावना उन लोगों में बढ़ जाती है जिनके भाई बहिन माता पिता या संतानों (फस्ट डिग्री रिलेतिव्ज़ )में यह रोग मौजूद है .इनके लिए रोग की संभावना १-३% तक बनी रहती है .जबकि हमशक्ल ट्विन्स जुड़वां के लिए यह बढ़कर ३०%होजाती है यदि दोनों में से एक को यह रोग रहता है .जबकि नॉन -आइदेंतिकल ट्विन्स में यह चांस बीमारी के होने का मात्र ४%ही रहता है जबकि दोनों में से एक को यह रोग हो तब ।
नॉन -आइदेंतिकल ट्विन्स में फ़र्तिलाइज़ेशन दो अलग अलग ह्यूमेन एग्स का होता है जबकि आइदेंतिकल में एक ही फर्तिलाज्द एग का विभाजन होजाता है इसीलिए नवजातों का लिंग और शक्ल यकसां रहती है .जबकि नॉन -आदेंतिकल में एक लडका दूसरी लड़की भी हो सकती है ।
इन आंकड़ों से ऐसा प्रतीत होता है आनुवंशिकी भी इस रोग में अपनाएक बड़ा रोल अदा करती है .
कुछ और अध्ययनों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पर्यावरणीय तत्व भी अपनी भूमिका निभातें हैं रोग के होने के पीछे इन माहौली घटकों का भी हाथ रहता है ।
(ज़ारी ...).
शनिवार, 28 मई 2011
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