व्हाट आर दी कौज़िज़ ऑफ़ फिब -रोइड्स ?
गर्भाशय के स्मूथ(मृसन ,चिकने ) पेशीय ऊतक से विकसित होने ,पनपने लगते हैं फिब -रोइड्स .इसे म्योमेत्रियम भी कहा जाता है .
एक अकेली कोशा लगातार प्रजनन करती चलती है ,आखिरकार एक पीत(विवर्ण ,पेल ),फर्म (मज़बूत )रबड़ जैसा पदार्थ पैदा हो जाता है जो आसपास के ऊतकों से भिन्न होता है ।
फिब -रोइड्स के आकार में भी खासा वैभिन्न्य होता है ,बीज से नन्ने या और भी सूक्ष्म इतने जो नंगी आँख न दिखाई दें से लेकर इतने गुरुतर भी नारियल -जटा -धारी से जो यूट्रस का आकार ही बिगाड़ के रख दें ।
यूट्रस का खुद का ही
आकार बढादें .
फिब -रोइड एक अकेला भी हो सकता है अनेक भी ,कभी कभार एक्सट्रीम केसिज में ये यूट्रस को इतना फैला बढा सकतें हैं ,वह रिब केज को ही छूने लगे . पसलियों का एक पूरा ढांचा होता है रिब -केज ,एक अस्थिनुमा पिंजडा होता है जो घुमाव दार अस्थियों को लिए दिल और फेफड़ों को घेरे रहता है .
साइंसदानों को फ़िब्रोइद्स की वजह का ठीक -ठीक भान नहीं है लेकिन रिसर्च कई ओर इशारा करती है , कुछ बदलाव दिखाई देते हैंइन गठानों की जीवन इकाइयों जींस में , जो कूट संकेत होतें हैं ,गर्भाशयीय पेशी की कोशिकाओं के लिए .
(२)हारमोंस :इस्ट्रोजन और प्रोजेस्तिरोंन हारमोन जो गर्भाशय अस्तर के निर्माण को प्रेरित करतें हैं ,गर्भ काल के लिए अपना रोल इनके (गर्भाशयीय गठानों के )निर्माण में भी अदा करते प्रतीत होतें हैं .
इन गठानों में इस्ट्रोजन तथा इस्ट्रोजन अभि -ग्राही (इस्ट्रोजन रिसेप्टर्स )गर्भाशयीय पेशी में मौजूद इनकी मात्रा से ज्यादा पाए गएँ हैं ।
(३)अन्य रसायन :कुछ पदार्थ जो शरीर के ऊतकों को मेन्टेन किये रहतें हैं ,मसलन इंसुलिन -लाइक फेक्टर फिब -रोइड ग्रोथ को असर ग्रस्त कर सकतें हैं ।
(ज़ारी ...)
हमेशा की तरह एक शैर सुनिए :
न मजमून लिखते न कुछ बात होती ,
बताओ तो कैसे मुलाक़ात होती .(डॉ .रूप चंद शास्त्री मयंक की एक ग़ज़ल से ).
शनिवार, 21 मई 2011
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