निश्चय पूर्वक तो कोई इस के कारणों को रोशन नहीं कर सकता संभावना यही है यह स्थिति नतीजा होती है ,अनेक आनुवंशिक तथा पर्यावरण सम्बन्धी तत्वों कारकों ,फेक्टर्स का .अकसर जिन महिलाओं में यह स्थिति देखने को मिलती है वह इनके माँ या फिर बहन ने भी भोगी होती है .हो सकता है कुछ जीवन इकाइयों में पैदा हो जाने वाले उत्परिवार्तनों का भी हाथ रहता हो .इस बाबत पड़ताल चल रहीं हैं ।
इन महिलाओं की ओवरीज़ में (अंडाशय में )अकसर एक से ज्यादा सिस्ट्स (तरल या अर्द्ध ठोस द्रव्य से भरींथैलियाँ )
रहतीं हैं इसीलिए इसे पोली -सिस -टिक ओवेरियन सिंड्रोम कहा जाता है .पोली यानी मेनीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम .सिस्ट्स बेशक इतने ही उन महिलाओं में भी हो सकतें हैं जिनमे इस सिंड्रोम (लक्षणों के समूह )के लक्षणों का प्रगटीकरण नहीं होता है .
सिस्ट्स अकेला कारण नहींबनते होतें हैं असल बात संलक्षण हैं .खासुल- ख़ास ,विशेषीकृत ,करेक्टर -स्टिक सिम्टम्स हैं इस स्थिति के लिए .जो रोग निदान की और ले जातें हैं ।
ब्लड सुगर नियंत्रण प्रणाली शरीर की इन महिलाओं में दुरुस्त नहीं,ठीक काम नहीं करती है .इसीलिए इंसुलिन रेजिस्टेंस तथा इंसुलिन का बढा हुआ स्तर इनमें अकसर मिलता है .हो सकता है यही असामान्यता "पी सी ओ एस "की वजह बनती हो ।
अलावा इसके इनकी दोनों ओवरीज़ पुरुष हारमोन एंड्रो -जन ज्यादा मात्रा में बनातीं हैं .हो सकता है इसका सम्बन्ध इंसुलिन के असामान्य उत्पादन से जाकर कहीं जुड़ता हो ।
अलावा इसके इन महिलाओं के शरीर में एक क्रोनिक इन -फ्लेमेशन (रोग संक्रमण ,सोजिश जैसा कुछ चला रहता है )लो लेविल का बना ही रहता है .ऐसे में भ्रूण मेल हारमोनो से भी असर ग्रस्त हो जाता है .
सोमवार, 23 मई 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें