यूटेराइन फिब -रोइड्स :
सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है इनकी उपस्थिति से बा -खबर रहना .वाच एंड वेट (एक्स पेक -टेनेट मेनेजमेंट ).गर्भाशयीय गठानें कैंसर कारी नहीं हो पातीं हैं .रजो -निवृत्ति के बाद सेक्स हारमोन छीजने पर स्वयं ही सिकुड़ भी जातीं हैं .ज्यादातर महिलाओं में इनके बने रहने पर भी लक्षणों का प्रगटीकरण नहीं होता है ।
मेडिकेसंस:दवा दारु का मकसद हारमोनों को विनियमित करना रेग्युलेट करना होता है उन हारमोनों को जो माहवारी चक्र को चलाते हैं .लक्ष्य होता है हेवी ब्लीडिंग को लगाम देना .पेल्विक पैन से राहत दिलवाना .लक्षणों की उग्रता को कम करवाना .
मेडी- केसंस गठानों को श्रिंक ज़रूर कर सकतें हैं इनका उन्मूलन नहीं करते हैं ।
इनमे शरीक हैं -
(१)गोनाडो -त्रोपिन रिलीजिंग हारमोंस (जी एन -आर एच )एगोनिस्ट्स :एक नए मासिक चक्र को प्रेरित करने के लिए दिमाग का एक केंद्र होता है हाइपो -थैलेमस जो गोनाडो -त्रोपिन रिलीजिंग हारमोन स्रावित करता है .यही हारमोन पीयूष ग्रंथि तक पहुँच कर ओवरीज़ (अंडाशय )को इस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्त्रोंन बनाने के लिए अनुप्रेरित करता है .पीयूष ग्रंथि भी दिमाग के आधारीय स्थल (बेस )में अवस्थित होती है ।
लुप्रोन ,सिनारेल तथा कई और दवाएं गोनाडो -त्रोपिन रिलीजिंग हारमोन की ही नक़ल उतारतीं हैं .लेकिन थिरेपी के रूप में इनका प्रभाव इस कुदरती हारमोन के एक दम विपरीत पड़ता है यह इस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्तेरों हारमोनों का स्तर कम करवाके मेन्स्त्र्युअल् साइकिल को ही मुल्तवी करवा देतीं हैं ताकि एक तरफ बेहद के रक्त स्राव से निजात मिले दूसरी तरफ फिब रोइड्स को रक्त की आपूर्ति न हो सके और वह सिकुड़ जाएँ .ऐसे में एनिमीया की शिकायत भी कम होती चली जाती है ।
(२)प्रो -जेस्तिन-रिलीजिंग इंट्रा -यूटेराइन डिवाइस (आई यु डी ):यदि आपके फिब -रोइड्स गर्भाश्यीय दीवार को विकृत नहीं कर रहें (आकार इनका उतना बड़ा नहीं है )तब आई यु डी भी हेवी ब्लीडिंग और पेल्विक पैन से निजात दिलवाने में बड़ी असरकारी सिद्ध होतीं हैं .लेकिन यह युक्ति सिर्फ लक्षणों में सुधार लाती है ,राहत दिलवाती है तकलीफ से ,गठानों के आकार को न कम करती है न इनका उन्मूलन करने में समर्थ है ।
(३)एंड्रो- जन्स:आपके अंडाशय (दोनों ओवरीज़) तथा एड्रिनल ग्लेंड्स (वृक्क गर्न्थियाँ )जो आपके गुर्दों से थोड़ा सा ऊपर की ओर रहतें हैं एंड्रो -जन्स (तथाकथित पुरुष हारमोन )तैयार करतें हैं ।
मेडिकल थिरेपी के बतौर दिए जाने पर यही एंड्रो -जन्स फिब -रोइड्स के लक्षणों से राहत दिलवा सकतें हैं .
(४)अलावा इसके डानाज़ोल जो एक संश्लेषित दवा है टेस्टो -स्तेरोंन की तरह मासिक चक्र को मुल्तवी कराके ,खून की कमी को दूर करवा सकती है .फिब -रोइड्स ट्यूमर का आकार भी घटा सकतीं हैं ,तथा बढे हुए गर्भाशय का आकार भी .
बेशक यदा -कदा इनके पार्श्व प्रभावों में वेट गैन सामने आता है ,.डिस -फोरिया (अवसाद ग्रस्त बने रहना ,नर्वस नेस ),कील मुंहासे ,सिर दर्द ,अवांछित केश उग आना ,आवाज़ का मर्दों की तरह भारी भरकम होना भी शामिल हैं .इसीलिए कई महिलायें इस मेडिकेसन के प्रति उत्साहित नहीं रहतीं हैं ।
(ज़ारी ...)
रविवार, 22 मई 2011
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