सी -रिएक्टिव प्रोटीन ज़ारी ....
गत पोस्ट से आगे ....
इन्फेक्शन ,ट्रौमा ,सर्जरी ,झुलस जाने (बर्न्स ),इन्फ्लेमेत्री कंडीशंस ,कैंसर के आगे के चरणों में ,सी आर पी का स्तर खासा बढ़ जाता है ।
मोडरेट वृद्धि हाड -तोड़ व्यायाम के बाद ,हीट स्ट्रोक के बाद ,प्रसव के बाद भी हो जाती है .मनोवैज्ञानिक दवाब में आने के बाद भी थोड़ी बहुत वृद्धि सी -रिएक्टिव प्रोटीन में हो जाती है .कई मनो -रोगों में भी ऐसी ही बढ़ोतरी हो जाती है इस प्रोटीन के स्तर में ।
इसीलिए चिकित्सा में इसका बड़ा महत्त्व है ,इससे संक्रमण की मौजूदगी और गंभीरता दोनों का इल्म हो जाता है .बेशक यह किसी रोग के होने का रोग निदानिक प्रमाण न हो .
क्योंकि इन -फ्लेमेशन का एहम रोल परि -हृदय धमनी रोग (कोरोनरी आर्टरी डिजीज )में इसकेअलग अलग चरणों में बढ़ने की इत्तला देता है इसलिए दिल की सेहत का जायजा लेने में मार्कर्स का अपना रोल रहता है .
"सी आर पी" वाज़ फाउंड तू बी दी ओनली मारकर ऑफ़ इन्फ्लेमेशन देट इन -डिपें -देंटली प्रिदिक्ट्स दी रिस्क ऑफ़ हार्ट अटेक ।
दी "सी आर पी "टेस्ट मे देयर फॉर बी एडिड तू टेस्ट्स फॉर पीपुल इन एवेल्युएतिन्ग दी हार्ट रिस्क .
गुरुवार, 26 मई 2011
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