जीवन सौपान (लाइफ एक्स्पेक -टेंसी ,जीवन प्रत्याशा )सिकिल सेल एनीमिया से ग्रस्त व्यक्ति की घट जाती है .कुछ मरीज़ बरसों लक्षणों से बरी रह सकतें जब की कुछ और शिशुकाल और बाल्यकाल को भी पार नहीं कर पातें हैं।
लेकिन आदर्श प्रबंधन और देख भाल नसीब होते रहने पर अब मरीज़ उम्र के चौथे दशक के पार भी चले जातें हैं .
ज्यादातर मरीज़ रुक रुक कर बीच बीच में आवधिक रूप से पैन- क्राइसिस ,फटीग ,बेक -टीरिअल इंफेक्शंस ,टिश्यु एवं ओर्गेंन डेमेज का सामना करते हैं जो वक्त के साथ बढ़ते ही जातें हैं.
भौतिक और संवेगात्मक (भावात्मक सदमा सहते झेलते )बच्चों के सामान्य विकास में बाधा आती है . यौवनारंभ भी देर से होता है ।
बेक -टीरियल इन्फेक्शन इस रोग में मौत की एक आम वजह बनतें हैं ,अलावा इसके स्ट्रोक (दिमाग में होने वाला रक्त स्राव ,हेमोरेजिक स्ट्रोक ),किडनी ,हार्ट और लीवर फेलियोर भी इस रोग में मौत की वजह बनतें हैं ।
बेशक जीवाणु जन्य संक्रमणों से पैदा ख़तरा तीन साल की उम्र के पार चले जाने पर थोड़ा कम हो जाता है .लेकिन किसी भी उम्र में जीवाणु संक्रमण ही मौत की एक आम वजह बनतें हैं .ता -उम्र बनाही रहता है यह ख़तरा .इसलिए संक्रमण का पहला संकेत मिलते ही इलाज़ तेज़ी से किया जाना चाहिए ,ताकि किसी भी तरह के डेमेज और मौत को टाला जा सके .जीवन को बचाए रखा जा सके मरीज़ के ।
दिलचस्प लेकिन इत्तेफाक की बात है यह सिकिल सेल जीन की मौजूदगी मलेरिया संक्रमण सेकुछ न कुछ हिफाज़त ही करती है .जिन लोगों में सिकिल सेल ट्रेट होता है (सिकिल सेल जीनतो होता है जिनमें रोग नहीं ,वाहक होतें हैं जो एक सिकिल जीन के जो किसी एक पेरेंट से चला आता है ,दूसरा सामान्य जीन होता है दूसरे पेरेंट से जो मिलता है इसका जोड़ीदार )वे आशिंक रूप से मलेरिया से बचे रहतें हैं .कह सकतें हैं ये लोग आंशिक तौर पर ही सही मलेरिया रेज़िस्तेंत हो जातें हैं .
सिकिल सेल जीन का भौगोलिक वितरण भी मलेरिया संक्रमण के समान ही है .सिकिल सेल एनीमिया एक लीथल कंडीशन है जिसमें जिन्दगी को ही ख़तरा बना रहता है .लेकिन सिकिल सेल करियर (ट्रेट )होने का एक चुनिन्दा फायदा भी मिलता है ,खासकर तब जब व्यक्ति ऐसे भौगोलिक इलाके में रहता हो जहां मलेरिया का प्रकोप बना रहता हो .सिकिल सेल ट्रेट वाले व्यक्ति को नॉन -करियर व्यक्ति की बनिस्पत मिलने वाला यही लाभ इस तथ्य की व्याख्या करने के लिए पर्याप्त है ,क्यों एक मारक रोग होते हुए भी सिकिल सेल एनीमिया का अब तक उन्मूलन नहीं हो सका ,पृथ्वी पर से सफाया नहीं हो सका .
"सिकिल सेल जीन एक ब्लेक जीन नहीं है ."बेशक गैरानुपातिक तौर पर यह काले लोगों को ही जहां जहां वह हैं कमोबेश होने वाला रोग बनके रह गया है ।
जब एक सिकिल सेल जीन का वाहक श्याम वर्ण का व्यक्ति किसी गैर -ब्लेक से सम्बन्ध बनाता है तो उनसे प्राप्त संतान में यह सिकिल सेल जीन चला आ सकता है चाहे संतान गोरी हो या काली .
नॉन -ब्लेक लोगों में भी सिकिल सेल जीन मौजूद है .(हम बता चुके हैं रोग तभी होता उसके लक्षण तभी प्रगटित होतें हैं जब दोनों ही माँ -बाप से संतान को सिकिल जीन ही मिले ,एक से सिकिल जीन तथा दूसरे से इसी जीन की सामान्य कोपी मिलने पर सिकिल ट्रेट होता है सिकिल सेल एनीमिया रोग नहीं ।).
रीसेंट रिसर्च इज एग्जामिनिंग फर्दर वेज़ टू प्रोमोट दी डेवलपमेंट ऑफ़ दी फीटल हिमोग्लोबिन देट डिलेज़ दी डेवलपमेंट ऑफ़ सिकिल सेल इन दी न्यू बोर्न .
बोन मेरो ट्रांस -प्लांट इज बींग यूज्ड फॉर पेशेंट्स विद सीवीयर सिकिल सेल अनीमिया हु हेव ए जेनेटिकली आइदेंतिकल सिबलिंग .(ताकि बोन मेरो के शरीर प्रति -रक्षा तंत्र द्वारा रिजेक्शन ,बहिष्कृत या रद्द किये जाने का ख़तरा न रहे .)।
जीन इंजिनीयरिंग से नए इलाज़ निकलके आयेंगें .माँ -बाप तथा परिवारों को सिकिल सेल अनीमिया से बचाव के लिए आगे के लिए जेनेटिक कोंसेलिंग की मदद लेनी चाहिए .
आखिर यह रोग विरासती है ,वसीयत में मिलता है .दोनों ही माँ बाप सिकिल सेल के वाहक होतें हैं तभी यह रोग संतानों में जाता है ।
इफ ईच पेरेंट इज ए करियर ,एनी चाइल्ड हेज़ ए वन चांस इन टू .(५०%)ऑफ़ आल्सो बींग ए करियर एंड ए वन इन फॉर (२५%)चांस ऑफ़ इन्हेरिटिंग बोथ जींस फ्रॉम दी पेरेंट्स एंड बींग अफेक -टिड विद विद सिकिल सेल अनीमिया ।
(ज़ारी ....).
शनिवार, 28 मई 2011
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