ओवर -व्यू :
सिकिल सेल एनीमिया एक" प्रकार" ही है "एनीमिया" का .एनीमिया एक ऐसी स्थिति या कंडीशन है जिसमें आपके खून में रेड ब्लड सेल्स सामान्य से कम हो जातीं हैं .यह स्थिति तब भी पैदा हो जाती है जब खून में पर्याप्त मात्रा में हिमोग्लोबिन नहीं रहता है .
शरीर की बड़ी अस्थियों(लार्ज बोंस )की स्पंजनुमा मज्जा (मारो) में लाल रुधिर कोशायें निर्मित होती है .अस्थि मज्जा (बोन मारो )में निरंतर ही नै रेड ब्लड सेल्स बनती रहती हैं जो पुरानी कोशाओं का स्थान लेलेतीं हैं .रक्त प्रवाह में सामान्य कोशाओं की जीवन अवधि १२० दिन होती है इसके बाद यह मृत हो जातीं हैं .ये ऑक्सीजन ले जातीं हैं कार्बन डाय -ऑक्साइड (अप -शिष्ट पदार्थ शरीर के लिए ए वेस्ट प्रो -डक्ट)की निकासी करती हैंशरीर की तमाम कोशाओं से.
विरासत में मिला उम्र भर का रोग है "सिकिल सेल एनीमिया ".लोग इसे जन्म से ही अपने साथ लातें हैं .इन्हें विरासत में" सिकिल हिमोग्लोबिन "की दो जींस (जीवन इकाइयां ,डी एन ए खंड जो गुणों को अभिव्यक्त करतें हैं )मिलतीं हैं ,एक माँ से दूसरी बाप से ।
सिकिल सेल ट्रेट:जिन नौनिहालों को एक सिकिल हिमोग्लोबिन जीन एक पेरेंट से मिलती है तथा नोर्मल जीन दूसरे से उनमें सिकिल सेल ट्रेट तो होता है ,सिकिल सेल एनीमिया नहीं .इन्हें रोग नहीं होता है रोग के लक्षणों का प्रगटीकरण भी इनमे नहीं होता है ,लेकिन इनके पास दो में से एक जीन तो रहती ही है जो इस रोग की वजह बनती है ।
सिकिल सेल एनीमिया से ग्रस्त व्यक्ति की तरह ही ये सिकिल ट्रेट प्राणि भी अपनी संतानों तक सिकिल हिमोग्लोबिन जीन ले जातें हैं .(ज़ारी ...)
गुरुवार, 26 मई 2011
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