यूट्रस (गर्भाशय या बच्चे -दानी ):
नाशपाती के आकार की एक संरचना है ,पीअर शेप्ड है यूट्रस जो महिलाओं के लोवर एबडोमन (पेट/उदरआमाशय के निचले हिस्से )में मूत्राशय (ब्लेडर )और मलाशय (रेक्टम ,बड़ी आंत का निचला हिस्सा ) के बीच होता है ।
इसका निचला संकरा हिस्सा (लोवर नेरो पोर्शन )गर्भाशय -गर्दन या सर्विक्स है .तथा ऊपर का चौड़ा हिस्सा "कोर्पस "कहलाता है .कोर्पस ऊतकों की दो परतों से बना होता है ।
एंड्रो -जेनिक :
इसका सम्बन्ध पुरुषोचित गुणों का विकास होने से है . जिसमे शरीर पर उगने वाले बाल भी शामिल हैं ,प्रजनन अंग भी तथा मसल मॉस भी (पेशियों का पुष्ट होना )।
एंड्रो -जेनिक तो एक विशेषण है जो संज्ञा (नाउन )एंड्रो -जन से बना है .इसका सम्बन्ध पुरुष हारमोन "टेस्टो-स्टेरोंन "तथा एंड्रो -स्टेरोंन से भी है .
एंड्रो -जेनिक डेव -लप -मेंट का मतलब पुरुषोचित गुणों का विकास होना है , जिसकी शुरुआत वय:संधि स्थल (यौवनारंभ )से हो जाती है .यह वह समय है जब व्यक्ति संतान पैदा करने की क्षमता हासिल कर लेता है .लड़कों में (किशोरों में )यह समय १२-१४ वर्ष के बीच है .
आवाज़ का भारी होना एंड्रो -जेनिक सक्रियता है .क्रेक होने लगती है आवाज़ किशोरों की इस समय ।
एंड्रोजन का निर्माण पुरुष अंड-कोशों (टेस्तीज़)में होता है .वृक्क ग्रंथियां (एड्रीनल ग्लेंड्स )भी इसका निर्माण करतीं हैं .ये किडनी के जरा ऊपर रहतीं हैं ।
महिलाओं में भी एड्रीनल ग्लेंड्स एंड्रो -जन बनातीं हैं .लेकिन महिलाओं में इसका बाहुल्य उनमें पुरुषोचित गुणों के विकास की वजह बन जाता है .इसकेअतिरिक्त बाहुल्य से पुरुषों में भी पुरुषत्व कुछ ज्यादा ही होजाता है .अति सर्वत्र वर्ज्यते .एंड्रो -जेनिक शब्द ग्रीक भाषा के शब्द "एन्द्रोज़ "मानी मैंन (पुरुष )और "जेनिन"मानी पैदा करना के संयोग से हुआ है ।
इससे मिलते जुलते शब्द हैं -एंड्रो -गाइनस जिसका मतलब होता नर तथा मादा दोनों के गुणों से युक्त होना ।
एंड्रो -लोजी :पुरुषों में स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन है .
एंड्रो -फोबिया :पुरुष भीती है (फीयर ऑफ़ मेन ) है ।
एंड्रो -इड:विज्ञान गल्प में यह एक मनुष्य वत -रोबोट है .मनुष्य रूप यंत्र मानव है ।
(ज़ारी ...)
बुधवार, 25 मई 2011
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