बचावी उपाय क्या हैं सिकिल सेल एनीमिया से ?
सिकिल सेल एनीमिया तभी होता है जब दो व्यक्ति विपरीत लिंगी सिकिल सेल ट्रेट वाले संतान पैदा करें .ऐसे लोगों को जेनेटिक कोंसेलिंग की ज़रुरत रहती है .१२ में से एक अफ़्रीकी सिकिलट्रेट के साथ जी रहा है .
गर्भावस्था के दरमियान ही सिकिल सेल एनीमिया का पता लगाया जा सकता है ।
रेड ब्लड सेल्स की सिकलिंग (डिस्क आकार की सामान्य लाल रुधिर कोशाओं का विकृत होकर हंसिया के आकार की हो जाना ,सेल्स का सिकिल्ड होना या सिकलिंग कहलाता है ,विकृत होकर ये ,फ्रेजाइल हो जाती हैं ,रप्चर होकर नष्ट होने लगती हैं इसी से एनीमिया हो जाता है .हिमोग्लोबिन का विकार है यह जो एब्नोर्मल हिमोग्लोबिन के रूप में विरासत में मिलता है )से बचा जा सकता है :
यु कैन प्रिवेंट सिकलिंग ऑफ़ रेड ब्लड सेल्स बाई -
(१)तरल पदार्थों का अ -धिकाधिक सेवन किया जाए ।
(२)पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहनी चाहिए ,कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर न जाएँ यथा पर्वत शिखरों पर ।
(३)कैसा भी रोग संक्रमण (इन्फेक्शन )होने पर तेज़ी से इलाज़ करवाया जाए ।
अपने पोषण और ज़ारी गति -विधियों का जायजा लेने के लिए हरेक ३-६ माह के अंतराल से फिजिकल चेक अप करवाया जाए .सुनिश्चित किया जाए निर्धारित और तजवीज़ किये गए टीकों को ,वेक्सिनेसन को .आँखों की नियमित जांच करवाई जाए ।
संक्रमण (इन्फेक्शन )से बाचाव के लिए :
इम्युनाइज़ेशन को अपटू डेट रखा जाए ,इन टीकोंमे हिमोफिलास इन्फ़्ल्युएन्ज़ा का टीका भी शामिल किया जाए ,न्युमो-कोकल ,मेनिन्जो -कोकल ,हिप -ताइतिस-बी और इन्फ़्ल्युएन्ज़ा वैक्सीन भी ।
कुछ मरीजों को संक्रमण से बचाव के लिए एंटी -बायोटिक्स भी दिए जातें हैं .
प्रिवेंतिंग क्राइसिस :माँ -बाप का दायित्व -
(१)यदि प्लीहा (स्प्लीन ,तिल्ली )बढ़ी हुई है तब बच्चों को थकाऊ कसरत न करने दी जाए ।
(२)इमोशनल स्ट्रेस से बचाया जाए (कोई संवेगात्मक ,रागात्मक ,भावात्मक ठेस न लगने पाए ।
(३)कम ऑक्सीजन वाले परिवेश यथा ऊंचे इलाके (हाई एल्तित्युड्स ),नॉन -प्रेशराइज़्द एयर -प्लेन फ्लाइट्सआदि ।
(४)धूम्रपान न किया जाए ।
(५)संक्रमण के स्रोतों को जाना जाए उनसे बचे रहा जाए जो आपको अकसर आ घेरतें हैं ।
आपको तरल की ठीक आपूर्ति हो इसे सुनिश्चित कीजिये -
(१)ज्यादा धूप में न निकलें ।
(२)घर बाहर दोनों जगह जहां भी हैं अपने साथ कोई तरल पेय ज़रूर रखे ।
(३)निर्जलीकरण के संकेतों को पहचानें (डि -हाई -डरेशन के लक्षणों से बा -खबर रहें ,वाकिफ रहें ,जाने पहचाने इन्हें .).
माँ -बाप बच्चों को इन्फेक्शन से बचाए बरखने के लिए -
(१)बच्चों को मेडिकल एलर्ट ब्रेसलेट पहनाएं ,ताकि अन्य भी उनका ध्यान रखें ।
(२)टीकाकरण सही वक्त पर हो ,हिदायतों के अनुरूप जो स्वास्थ्य कर्मी द्वारा दी गईं हैं .
(३)शिक्षकों के साथ भी माँ -बाप यह तमाम जानकारी सांझा करें ,अन्य तीमारदारों रिश्ते नातियों के साथ भी .ताकि हर कोई वाकिफ रहे मदद को तैयार रहे .बच्चे को लापरवाही न करने दे।
विशेष :बी एवेयर ऑफ़ दी इफेक्ट्स देट "क्रोनिक ",लाइफ थ्रेट -निंग इल्नेसिज़ कैन हेव ऑन सिब्लिंग्स ,मेरिज़िज़ ,पेरेंट्स ,एंड दी चाइल्ड .शादी ब्याह के मालों में बीमारी को छिपाया न जाए .
शुक्रवार, 27 मई 2011
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