रिस्क फेक्टर्स :
प्रजनन क्षम उम्र होने के अलावा गर्भाशयीय गठानों के पनपने के लिए खतरे (जोखिम तत्व ,रिस्क फेक्टर्स )और भी हैं :
आनुवंशिकता (वन्श्वेल ):यदि आपकी माँ या बहिन को गर्भाशयीय गठानों ने परेशान किया है ,आपके लिए भी इसके मौकें पैदा हो जातें हैं .
(२)नस्ल :काली चमड़ी वाली महिलाओं के लिए फिब -रोइड्स की रोग -प्रवणता ज्यादा बनी रहती है दूसरी नस्लों की महिलाओं के बरक्स .अलावा इसके इनको कम उम्र में ही यह परेशानी झेलनी पडती है .फिब -रोइड्स तादाद और आकार में भी ज्यादा रहतें हैं इनमें .
(३)एरियाज़ ऑफ़ रिसर्च :कुछ और जोखिम तत्वों का पता लगाने के लिए अन्वेषण चल रहें हैं ।
मोटापा :कुछ अध्ययनों से इल्म हुआ है ओबेसी महिलाओं के लिए फिब -रोइड्स का ख़तरा बढ़ जाता है ,लेकिन कुछ और अध्ययनों ने ऐसा नहीं माना है ।
ओरल -कोंट्रा -सेप्तिव्ज़ : आंकड़ों से आदिनांक यही इल्म होता है जो महिलायें गर्भ निरोधी टिकिया खातीं हैं उनके लिए फिब -रोइड्स का ख़तरा कम होजाता है ।
आमतौर पर यह सभी महिलाओं के लिए सही है .अपवाद वह किशोरियां हैं जो उम्र से पहले १३-१६ साल के बीच ही इन गर्भ निरोधी गोलियों को गले लगा लेतीं हैं .
शनिवार, 21 मई 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
हमेशा की तरह सदाबहार लेख,
एक टिप्पणी भेजें