रविवार, 29 मई 2011

व्हाट आर दी सिम्पटम्स ऑफ़ मल्तिपिल स्केलेरोसिस ?

लक्षण क्या हैं मल्तिपिल स्केलेरोसिस के ?
इस रोग के लक्षण हलके रूप में भी प्रगटित हो सकतें हैं गंभीर रुख लिए भी आ सकतें हैं अल्पावधि भी हो सकतें हैं देर तक बने रहने वाले भी .पूरी या फिर आंशिक तौर पर लक्षणों का शमन ,दब ढक जाना (रेमिशन )जल्दी ही तकरीबन ७०%लोगों में हो सकता है ।

(१)विज्युअल डिस्टर्बेंस :बीनाई सम्बन्धी परेशानी "एम् एस "का पहला लक्षण हो सकता है लेकिन जल्दी ही यह बरतरफ भी होजाता है ,सब साइड भी हो जाता है ।
ब्लर्ड विज़न का एक पैच(रेड -टू ओरेंज और रेड टू-ग्रे डिस -टोर्शन(कलर डि -सेच्युरेशन )या फिर चिकित्सा विज्ञान की भाषा में "मोनोक्युलर विज्युअल लोस "एक आँख की बीनाई का कमज़ोर पड़ना प्रगट हो सकता है ।
ऑप्टिक न्युराइतिस:ऑप्टिक नर्व इन्फ्लेमेशन इसकी वजह बनता है यह लक्षण आँख में दुखन के साथ प्रगट होता है .
(२)लिम्ब वीकनेस (हाथ पैरों की ,आंगिक कमजोरी )महसूस हो सकती है जिसके साथ साथ संतुलन और समन्वयन का अभाव भी चला आ सकता है ।
(३)मसल स्पाज्म ,फटीग :नाम्ब्नेस (सुन्नी )तथा प्रिक्लिंग पैन एक आम लक्षण के रूप में प्रगट होतें हैं मल्तिपिल स्केलेरोसिस में जिसमें जैसा हम बता चुकें हैं नर्वस सिस्टम की नाड़ियों का बाहरी अस्तर उतर जाता है ,डि -माइलिनेतिद होजातीं हैं नर्व्ज़.और इसीलिए यह एक अप -विकासी रोग कहलाता है नाड़ियों का .
(४)लोस ऑफ़ सेंसेशन (इन्द्रिय जनित बोध का अभाव ),संभाषण में दिक्कत ,खासकर शब्द उच्चारण और वाक्य विन्यास ,अपनी बात समझाने में परेशानी सामने आती है .ट्रेमर्स (कंप काम्पना ),चक्कर आना अन्य लक्षणों के रूप में प्रगट हो सकतें हैं ।
(५)चीज़ों को एक के बाद एक क्रम में न कर पाना ।
(६)ठीक से निर्णय ले पाने में दिक्कत ,इम्पेयार्मेंट इन जजमेंट एम् एस के अन्य लक्ष्ण हो सकतें हैं ।
अलावा इसके -
(१)अवसाद (डिप्रेशन ).(२)मेनिक डिप्रेशन (जो बाईपोलर इलनेस के साथ चस्पा होता है ,उसकी एक फेज़ होती है ,मेनिक डिप्रेसिव डिस -ऑर्डर )।
(३)पैरानोइआ .:दूसरों के इरादों पर बिला वजह बे हद का शक करना .भ्रांत धारणाओं (दिल्युश्जन )से ग्रस्त हो जाना ।
(४)बेलगाम हंसने या रोने की हूक का उठना ।
रोग के बढ़ने के साथ कुछ मरीज़ सेक्स्युअल डिस -फंक्शन ,मूत्र और मल त्याग में अ-संयम से भी दो चार हो सकतें हैं ।
हीट एपिअर्स टू इन्तेंसिफाई सिम्पटम्स फॉर अबाउट ६०%पेशेंट्स ।
गर्भावस्था में रोग का हमला कम होना प्रतीत होता है ख़ास कर गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में ।
(ज़ारी ...)

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