लक्षण क्या हैं "पी सी ओ एस "के ?
मुख्य लक्षण इस संलक्षण या सिंड्रोम के माहवारी में होने वाली गड़बड़ियों ,विक्षोभ ,डिस्टर -बेन्सिज़ से ताल्लुक रखतें हैं .पुरुष हारमोन एंड्रोजन के बढे हुए स्तर से भी इन लक्षणों का नाता रहता है .
माहवारी विकारों से जुड़े लक्षणों में नोर्मल मेन्स्त्र्युएसन् में विलम्ब (प्राई -मेरी एम्नोरिया ),मेन्स्त्र्युअल् पीरियड्स का सामान्य से कम रह जाना .(ओलिगो -मेनोरिया ),तीन महीने से भी ज्यादा अवधि तक माहवारी का निलंबित रहना .बंद हो जाना मासिक चक्र का इस अवधि में (सेकेंडरी एम्नोरिया )।
मासिक स्राव के बाद अण्डोत्सर्ग का न होना .नो ओव्यूलेशन या फिर एन -ओव्युलेत्री साइकिल्स का ज़ारी रहना .साथ में हेवी ब्लीडिंग का होना ,बेहद का रक्त स्राव होना ।
पुरुष हारमोन एंड्रो -जन का नारी शरीर में बाहुल्य ,अतिरिक्त स्तर कील मुंहासों,शरीर पर पेट पेडू अन्य अंगों पर बाल उग आना(हिरसुतिज्म ) ।तथा मेल -पैट्रन हेयर लोस के रूप में भी प्रगटित हो सकता है .
अन्य लक्षण "पी सी ओ एस "के इस प्रकार हो सकतें हैं :
(१)मोटापा (ओबेसिटी ),वेट गैन,मोटे होते चले जाना ।
(२)हाइपर -इंसु-लिनेमिया यानी शरीर में इंसुलिन का ज़रुरत से ज्यादा स्राव होना ,एलीवेटिड इंसुलिन लेविल्स साथ में इंसुलिन रेजिस्टेंस भी पैदा हो जाता है .इंसुलिन रेजिस्टेंस का मतलब ?
दिमिन्युशन इन दी रेस्पोंस ऑफ़ दी बॉडीज टिश्यु टू इंसुलिन ,सो देट हा -य़र कोंसंट्रेसंस ऑफ़ सीरम इंसुलिन आर रिक्वायर्ड टू मेन्टेन नोर्मल सर्क्युलेटिंग ग्लूकोज़ लेविल्स .ऐसे में आइलेट सेल्स पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पातीं हैं ,ग्लूकोज़ को असर कारी तरीके से कम करने लायक .नतीजा होता है हाई -पर -ग्लाई -सीमिया यानी खून में ग्लूकोज़ का स्तर एक मान्य स्तर से बहुत ऊपर चले जाना ।
(३)चमड़ी का तैलीय (ओइली स्किन )हो जाना ।
(४)बालों में रूसी (फ्यास )डैन -ड्राफ़ का होजाना ।
(५)बांझपन (प्रजनन क्षमता का ह्रास )।
(६)चमड़ी का बदरंग पड़ जाना (डिस -कलेरेशन ऑफ़ स्किन ).
(७)खून में सीरम कोलेस्ट्रोल का स्तर ज्यादा हो जाना ।हाई -कोलेस्ट्रोल लेविल्स .
(८)रक्त चाप का बढ़ जाना (एलीवेटिड ब्लड प्रेशर ).और
(९)अंडाशय में अनेक सिस्ट्स (तरल संसिक्त थैलियों का होना )का बनना।ये भी हो सकता है :उल्लेखित लक्षणों में
से किसी का भी प्रगट न होना .लेकिन अनियमित या फिर पीरियड्स का नदारद होना प्रगट और मुखरित लक्षण रहे .सभी महिलाओं में जिनमें अंडाशय में ये थैलियाँ मौजूद हैं पीरियड्स का अनियमित या फिर नदारद भी होना देखा जाता है .
इनमें दो माह्वारियों के बीच हर माह ओवम (ह्यूमेन एग ,अण्डोत्सर्ग )का भी क्षरण नहीं होता है .दे डू नोट ओव्युलेट रेग्युलरली आफ्टर एवरी पीरियड .रेग्युलर पीरियड्स न होने की वजह भी यही एन -ओव्युलेत्री फेज़(साइकिल्स ) बनती है ,प्रजनन क्षमता ह्रास (बाँझ पन ,गर्भ धारण में दिक्कत की भी .).
(ज़ारी ...).
सोमवार, 23 मई 2011
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