गत पोस्ट से आगे ...
तकरीबन ५०%रिलेप्सिंग -रेमितिंग -मल्तिपिल स्केलेरोसिस (आर आर एम् एस )के मरीज़ दस सालों के अन्दर अन्दर "सेकेंडरी प्रोग्रेसिव (एस पी )एम् एस की लपेट में आजातें हैं ।
कई दशकों के अंतराल के बाद ज्यादातर आर आर एम् एस के मरीज़ रोग की उग्रता बढ़ते जाने पर एस पी- एम् एस की चपेट में ही आजातें हैं .
प्रोग्रेसिव -रिलेप्सिंग (पी आर )एम् एस :मल्तिपिल स्केलेरोसिस की एक और किस्म है जिसमें क्षमताओं के सतत ह्रास के साथ जब तब इस जब तब की कोई निश्चित मियाद भी नहीं होती ,अटेक भी (रोग के /लक्षणों के )पडतें हैं .
अलावा इसके मल्तिपिल स्केलेरोसिस के माइल्ड मामले भी होतें हैं (माइल्ड जिनमें लक्षण हलके फुल्के ही प्रगटित होतें हैं )जिनका इल्म भी कई सालों बाद ही हो पाता है .
कुछ ऐसे मामले भी रोग के होतें हैं जिनमें रोग के लक्षणों की उग्रता तेज़ी से बढती है (एक्स्ट्रीमली रेपिड प्रोग्रेशन ऑफ़ मल्तिपिल स्केलेरोसिस सिम्पटम्स जो कई मर्तबा बहुत घातक भी सिद्ध होतें हैं .इन्हें "मलिग्नेंट या फुल्मिनेंत (मर्बुर्ग वेरिएंट )मल्तिपिल स्केलेरोसिस के मामले समझा जाता है .
(ज़ारी ...).
रविवार, 29 मई 2011
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