मैनो -रेजिया:हेवी प्रोलोंग्द ब्लीडिंग ड्यूरिंग मेन्स्त्र्युअल् साइकिल्स इज काल्ड मैनो -रेजिया .यानी मासिक चक्र के दरमियान अधिक रक्तस्राव का होना अधिक दिनों तक हो भी सकता है यह रक्त स्राव नहीं भी . इसकी वजह पेल्विक इन -फ्लेमेत्री डिजीज भी बन सकती है ,ट्यूमर्स भी (खासकर फाइब-रोइड्स )बन सकतें हैं पेल्विक केविटी के ,इंडो -मेट -रियोसिस भी ,किसी इंट्रा -यूटेराइन- कोंट्रा -सेप्तिव डिवाइस की मौजूदगी भी .
एन्दोमेत्रिअल कैंसर :वोम्ब (बच्चेदानी )का कैंसर होता है यह .जो अकसर ५५-७० साला महिलाओं को हो जाता है .औरतों को होने वाले तमाम तरह के कैंसरों में इसकी हिस्सेदारी ६%रहती है .।
मोटापा इसके खतरे के वजन को बढा देता है ,निस्संतान या फिर एक आदि संतान का ही होना ,किशोरावस्था में अपेक्षाकृत जल्दी रजस्वला (मेनार्के )हो जाना यानी उम्र से थोड़ा पहले ही रजो -दर्शन ,मासिक चक्र की शुरुआत का होना ,अधिक उम्र दराज़ होने पर रजोनिवृत्त (मिनोपोज़ल )होना तथा ऊंचे तबके से ताल्लुक रखना इसके जोखिम की अन्य वजहें हो सकतीं हैं ,होतीं भी हैं ।
समझा जाता है इन तमाम खतरे के तत्वों की वजह हारमोनों का आधिक्य बनता है खासकर इस्ट्रोजन का ।
क्रोनिक :ग्रीक भाषा का एक शब्द है "क्रोनोस "(क्रोनोज़ ),जिसका मतलब होता है ,टाइम एंड मीन्स लास्टिंग ए लोंग टाइम यानी देर तक बनी रहने वाली ,जिसे हम कभी कभार कहदेतें हैं ,चिर कालिक ,पुरानी ।
डाय्ग- नोसिस: यानी बीमारी का स्वरूप (रोग निदान ),बीमारी का मिजाज़ और उसकी शिनाख्त होना ,रोग निदान के ज़रिये किसी निष्कर्ष पर पहुंचना .किसी समस्या की पहचान का तय होजाना .मेडिसन में कहा गया है "डाय्ग -नोसिस इज हाव(हाल्फ )क्युओर्द ."यह वैसे ही है जैसे कहा जाता है -बिगनिंग ऑफ़ ए वर्क इज हाल्फ डन।
ग्लेंड: कोशिकाओं का एक ऐसा समूह जो किसी ख़ास पदार्थ का स्राव करता है जो शरीर के संचालन में काम आता है ।मसलन थाई -रोइड ग्लेंड .
कोशाओं का एक ऐसा वर्ग जो सर्क्युलेशन से कुछ पदार्थों की निकासी करता है .मसलन लिम्फ ग्लेंड (लसिका ग्रंथि ).
(zaari ...)
गुरुवार, 26 मई 2011
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1 टिप्पणी:
अनूठे कार्य के लिए आभार !
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