फिब -रोइड्स :अदर मेडिकेसंस ।
गर्भ निरोधी गोलियां (ओरल कोंत्रा-सेत्तिव पिल्स ) ,प्रोजेस्तिंस बेशक रक्त स्राव को नियंत्रित रखतीं हैं ,लेकिन फिब -रोइड्स (गठानों )का आकार कम नहीं करतीं हैं ये चिकित्सा ।
नॉन -स्तीरोइदल एंटी -इन -फ्लेमेत्री ड्रग्स (एन एस ए आई डी ):ये दवाएं हारमोन युक्त नहीं होतीं हैं ,ये हेवी वेजिनल ब्लीडिंग में ऐसी ब्लीडिंग जिसकी वजह फिब -रोइड्स न होकर कुछ और है ,को तो रोक देतीं हैं लेकिन जिस रक्त स्राव की वजह गर्भाशयीय गठानें बन रहीं है उसमे ये कारगर नहीं रहतीं हैं ।
हिस्ते -रेक -टमी पक्का इलाज़ है यह फाइब -रोइड्स का जिसमे गर्भाशय ही काट के फैंक दिया जाता है शल्य द्वारा .लेकिन इसके साथ ही गर्भ धारण की क्षमता संपन्न हो जाती है .अलावा इसके यह एक मेजर सर्जरी है .जो महिलायें इसके साथ अंडाशय भी निकलवा देतीं हैं वे रजो निवृत्त भी जल्दी हो जाती हैं फिर यह फैसला भी लेना होता है क्या (हारमोन रिप्लेसमेंट थिरेपी )अपनाई जाए .ज़ाहिर है यह सिर्फ उनके लिए हैं जिन्होंने ने अपना परिवार पूरा कर लिया है .अब और संतान नहीं चाहिए ।
मयो -मेक -टमी :इस प्रोसीज़र में (शल्य प्राविधि में )गर्भाशय से छेड़छाड़ नहीं की जाती है गठानें निकाल दी जातीं हैं .संतान की इच्छुक महिलायें इसे अपना सकतीं हैं .लेकिन गठानों के दोबारा पनपने विकसने का ख़तरा भी बना रह सकता है .अलबत्ता कितने ही तरीके से यह प्रोसीज़र किया जासकता है :
(१)एब्डोमिनल मयो -मेक -टमी :संख्या में ज्यादाऔर आकार में गठानों के ज्यादा बड़ी होने गर्भाशय में गहरी धंसी होने पर पेट खोल के (एबडोमन)से होके गर्भाशय तक पहुंचा जाता है ।
(२)लापा -रो -स्कोपिक मयो -मेक -टमी :इसमें बस पेट में छोटा सा ही चीरा लगाके सर्जन महीन स्लेंदर इन्स्त्रयुमेंट्स से ही काम चलाता है जिसके आगे एक और भी नन्ना सा कैमरा भी जड़ा होता है .जो एक रिमोट मोनिटर पर एब्डोमिनल एरिया को मुखर करता है ।
आजकल सर्जिकल रोबोट्स भी इस काम में लगे हुए हैं जो तादाद में भी ज्यादा से ज्यादा तथा आकार में भी बड़ेसे बड़े फाइब-रोइड्स को हटाने में कारगर सिद्ध हो रहें हैं ।
(३)हिस्टेरो -स्कोपिक मयो -मेक -टमी :सब -म्युकोसल फाइब -रोइड्स को हटानेके लिए जो गर्भाशय के अन्दर ही बने रहतें है इस प्रोसीज़र को अपनाया जाता है ।
इसमें योनी मार्ग और गर्भाशय मुख से होते हुए एक स्कोप को (हिस्टेरो -स्कोप को )गर्भाशय तक पहुंचाया जाता है .स्कोप से देख भालते हुए गठानों को हटाया जाता है ।
(ज़ारी ...)
रविवार, 22 मई 2011
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