शुक्रवार, 27 मई 2011

सिकिल सेल एनीमिया :ट्रीट -मेंट्स .

ट्रीट -मेंट्स फॉर सिकिल सेल एनीमिया :


सिकिल सेल एनीमिया में इलाज़ चलता ही रहना चाहिए ,भले पैन फुल एपिसोड्स से वास्ता पड़े न पड़े .फोलिक एसिड ट्रीट -मेंट चलता ही रहता है क्योंकि रेड सेल्स सिकिल्ड होकर नष्ट होतीं रहतीं हैं जिससे एनीमिया हो जाता है ।
इलाज़ का मकसद लक्षणों में सुधार लाना होता है .क्राइसिस की (पेन फुल एपिसोड्स )की पुनरावृत्ति ,बारंबारता ,फ्रिक्युवेंसी को कम रखना है ।
पेन मेडी -केशंस(दर्द हारी ):पैन फुल एपिसोड्स के प्रबंधन में कुछ दर्द नाशियों का स्तेमाल करने के अलावा मरीज़ को ज्यादा से ज्यादा तरल का सेवन करने को कहा जाता है ।
अकसर दर्द के प्रबन्धन में नॉन -नारकोटिक्स का ही स्तेमाल किया जाता है ,कभी कभार नारकोटिक्स की भी कुछ मरीजों को ज़रुरत पड़ती है ।
हाई -ड्रोक्सी -यूरिया (हैड्रिया):पैन एपिसोड्स को सीमित रखने के लिए कुछ मरीजों पर इसका भी स्तेमाल किया जाता है .इन एपिसोड्स में सीने का दर्द तथा सांस लेने में दिक्कत भी शामिल रहती है .लेकिन यह सभी पर कारगर सिद्ध नहीं होती है ।
एंटी बायोटिक्स एंड वेक्सींस :जीवाणु से पैदा होने वाले संक्रमणों (इन्फेक्शन )से बचाने के लिए (खासकर बच्चों को ऐसे रोग संक्रमण का ख़तरा ज्यादा रहता है )इनका स्तेमाल किया जाता है ।
रक्ताधान (ब्लड ट्रांस -फ्युज़ंस ):सिकिल सेल क्राइसिस के प्रबंधन में इसकी ज़रुरत पडती है .स्ट्रोक से बचाव के लिए भी इनका नियमित तौर पर भी स्तेमाल किया जाता है ।
जटिलताएं रोग के दौरान पैदा हो जाने पर निम्न को भी अपनाया जाता है :
(१)डायलिसिस या फिर किडनी खराब हो जाने पर गुर्दा -प्रत्यारोप लगाया जाता है ।
(२)ड्रग ऋ -हेबिलिटेशन और नैदानिक मानोविग्यानी के साथ सलाह मशविरा (क्लिनिकल कोंसेलिंग की भी मरीज़ को ज़रुरत पड़ सकती है ),रोग जटिल हो जाने पर रोगी को मनो -वैज्ञानिक समस्याएं भी आड़े आतीं हैं ।
(३)पित्ताशय की बीमारी होने पर ,पित्ताशय में पथरी होने पर गाल ब्लेडर ही हटा दिया जाता है ।
(४)हिप रिप्लेसमेंट :नितम्बों में अवस्कुलर नेक्रोसिस होने पर "हिप रिप्लेसमेंट "किया जाता है ।
(५)इर्रिगेशन ऑर सर्जरी फॉर परसिस्टेंट पेनफुल इरेक -शंस (प्रिअपिस्म ).कष्टप्रद लिगोथ्थान (इरेक्शन ) दीर्घावधि बने रहने पर यह प्रोसीज़र इर्रिगेशन का या फिर शल्य चिकित्सा ही करनी पडती है .
(६)आँख की बीनाई सम्बन्धी समस्याओं के मामले में भी सर्जरी करनी पड़ती है ।
(७)वुंड केयर ,जिंक ऑक्साइड या टांगों की शल्य चिकित्सा भी करनी पडती है ।
अस्थि मज्जा प्रत्या -रोप (बोन -मारो -ट्रांस -प्लांट )सिकिल सेल एनीमिया को ठीक कर सकता है .लेकिन इसके अपने अनेक जोखिम हैं .संक्रमण (इन्फेक्शन ),प्रत्यारोप को शरीर तंत्र द्वारा बहिष्कृत कर दिया जाना (रिजेक्शन ऑफ़ ट्रांस प्लांट बाई दी इम्यून सिस्टम ),ग्राफ्ट वर्सस होस्ट डिजीज ,कह सकतें हैं कानी के ब्याह को सौ जोखों ।
ज्यादा तर मरीजों के मामले में यह सही विकल्प भी नहीं है ,उचित दाता भी कहाँ मिलतें हैं बोन मेरो के ,कम्पेतिबिलिती ,टिश्यु मेचिंग की समस्या अलग .भाई बहिनों का बोन -मैरो मेल खाता है लेकिन जो एकल संतान हों अपने माँ बाप की ?
(ज़ारी ...).

कोई टिप्पणी नहीं: