गर्भाशयीय गठानों (यूटेराइन फिब -रोइड्स )का इलाज़ कया है ?
ज्यादातर महिलाओं में फिब -रोइड्स के कोई लक्षण ही प्रगट नहीं होतें हैं .मज़े से रहतीं हैं वे इनके साथ ।
जिनमे इसके लक्षणों का प्रगटीकरण होता है उनके लिए कारगर इलाज़ मयस्सर हैं .खुल कर अपने डॉ .से चिकित्सा माहिर से बात करें कौन सा विकल्प आपके लिए सर्वोत्तम रहेगा इनके इलाज़ और प्रबंधन में ।
माहिर को भी किसी नतीजे पर पहुँचने से पहले कई चीज़ों पर विचार करना हो गा जाननी होंगी कई बातें -
(१)क्या आपके अन्दर किन्हीं लक्षणों का प्रगटीकरण हुआ है ।?
(२)क्या भवष्य में आपको संतान चाहिए ?
(३)आपके फिब -रोइड्स का आकार क्या है ?
(४)कहाँ स्थित हैं ये फिब -रोइड्स गर्भाशय के बाहर ,दीवार के अन्दर कीतरफ और या गर्भाशयीय विवर (गुहा या यूटेराइन केविटी में )?
(५)आपकी उम्र और रजोनिवृत्ति के (मिनोपोज़ )आप कितने करीब हैं ?
मेडिकेसंस(इलाज़ ,दवा दारु ):यदि आपको फिब -रोइड्स हैं और लक्षण भी उग्र नहीं है तब एक विकल्प दवा दारु ,मेडिकेशन हो सकता है ।
हलके फुलके दर्द से राहत के लिए सहज सुलभ बिना डॉक्टरी पर्चे वाले दर्द नाशी (इबु -प्रोफैन ,एसिता -मिनो -फेन )आपको तजवीज़ (नुश्खे ,प्रिक्रिप्शन के बतौर )कियेदिए जा सकतें हैं .
हेवी ब्लीडिंग (माहवारी में बहुत ज्यादा स्राव )के मामलों में एनीमिया से बचाव के लिए आयरन संपूरक भी दिए जा सकतें हैं ,जिन्हें एनीमिया हो चुका है उन्हें भी आयरन सप्लीमेंट्स दिए जातें हैं ।
कई ओरल कोट्रासेप्तिव भी फिब -रोइड्स के लक्षण की उग्रता घटाने के लिए दिए जा सकतें हैं .
लो डोज़ बर्थ कंट्रोल पिल्स फिब -रोइड्स की बढ़वार को लगाम देतीं हैं ,हेवी ब्लीडिंग को कम करने में भी असरकारी सिद्ध होतीं हैं ।
डेपो -प्रोवेरा की सुइंयाँ भी प्रोजेस्त्रों इंजेक्शन की तरह ही प्रभावी सिद्ध होतीं हैं ।
एक अंत : -गर्भाशयीय युक्ति (इंट्रा -यूटेराइन डिवाइस )"मिरेन "एक प्रोजेस्त्रों जैसी दवा से ही लैस रहती है ,ब्लीडिंग कम करने रखने के अलावा यह गर्भ निरोध का काम भी करती है ।
गोनाडो-त्रोपिन-रिलीजिंग हामोन एगोनिस्ट्स :ये दवाएं जो हारमोन की नक़ल उतारतीं हैं एक अनुक्रिया को प्रेरित करतीं हैं एक कोशा अभिग्राही(सेल रिसेप्टर ) से खुद को नत्थी(बाई बाइंडिंग टू ए सेल रिसेप्टर करके)नतीज़न फिब -रोइड्स सिकुड़ सकतें हैं .इन्हें इंजेक्शन के अलावा ,सुंघनी (नेज़ल स्प्रे ) के बतौर भी काम में लिया जाता है ,प्रत्यारोपित भी किया जाता है ।
कई मर्तबा इनका स्तेमाल शल्य से पहले किया जाता है ,ताकि फिब -रोइड्स को सुगमता से हटाया जा सके ।
इनके पार्श्व प्रभावों में हॉट फ्लश -इज के अलावा अवसाद ,अनिद्रा ,जोड़ों का दर्द ,सेक्स में अरुचि हो सकती है .हॉट फ्लश -इज के बारे में हमने कई मर्तबा पूर्व में भी चर्चा की है .सडन हॉट फीलिंग है यह जिसमे कई मर्तबा चेहरा सुर्खरू हो जाता है .एक दम से लाल .बेहद की गर्मी महसूस होती है .पसीना छूटता है .
ज्यादा तर महिलाओं को यह रास आजाता है बिना अवांछित प्रभाव सामने नहीं आते ।माहवारी भी ज्यादातर की बंद ही हो जाती है .ज़ाहिर है यह उन महिलाओं के लिए बड़ी राहत की बात होती है जो बहुत अधिक रक्त स्राव से आजिज़ आ चुकीं होतीं हैं .एनीमिया से भी बाहर आने का मौक़ा देता है यह इलाज़ .लेकिन बोन थिनिंग इनके असर से होने लगती है इसलिए इन्हें ६ माह से ज्यादा नहीं दिया जाता है .
अलावा इसके गोनाडो -त्रोपिन -रिलीजिंग हारमोन एगोनिस्ट्स महंगे होतें हैं ,इन्स्युओरेन्स कवर से बाहर रह जातें हैं .राहत भी फौरी ही मिलती है इलाज़ बंद करने पर फिब -रोइड्स फिर लौट आतें हैं पनपने बढ़ने लगतें हैं .
(ज़ारी ...)
अगली किस्त में पढ़िए :फिब -रोइड्स के प्रबंधन में सर्जरी ।
इस मर्तबा का शैर पढ़िए :
धूप साया नदी हवा औरत ,इस धरा को नेमते खुदा औरत ,
नफरतों में जला दी जाती है ख्वाबे मोहब्बत की जो अदा औरत ।
गाँव शहर या कि फिर महानगर ,हादसों से भरी एक कथा औरत .
मर्द कैसा भी हो कुछ भी करे ,पाक दिल हो तो भी खता औरत .
गुरुवार, 19 मई 2011
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