गुरुवार, 5 मई 2011

डिफरेंशियल डायग्नोसिस ऑफ़ "गेड".

जी ए डी मस्ट बी दिफ -रेंशियेतिद फ्रॉम दी फोलोइंग कंडीशंस :
(१)एन्ग्जायती एज ए रिज़ल्ट ऑफ़ एन ओरगेनिक काज .(२)एन्ग्जायती त्रिगर्ड बाई ए स्पेसिफिक सिच्युएशन .(३)नोर्मल एन्ग्जायती इन रेस्पोंस टू स्ट्रेस ।
लेकिन यह अल्प कालिक एन्ग्जायती हैं जो ख़ास परिस्थितियों में ऊपर लिखित में भी पैदा हो जातीं हैं ये" जन्रेलाइज़्द क्रोनिक एन्ग्जायती" से अलग हैं .
गेड को अलग रखा जाना चाहिए निम्न स्थितियों से भी जिनमे एन्ग्जायती पैदा हो जाती है ।
(१)मेजर डिप्रेसिव डिस -ऑर्डर (एन्ग्जायती का वायस यह भी बनता है ,लेकिन यह एन्ग्जायती अलग है .)।
(२)अदर एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर्स।
(३)ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिस -ऑर्डर ।
(४)पेनिक डिस -ऑर्डर ।
(५)फोबियाज़ ।
(६)पोस्ट त्रौमेतिक स्ट्रेस डिस -ऑर्डर ।
(७)शिजोफ्रेनिया ।
अवसाद और एन्ग्जायती अकसर साथ -साथ आतें हैं और दोनों का वस्तु -परक मूल्यांकन होना चाहिए .अलग अलग और इलाज़ भी समुचित होना चाहियें दोनों का ।
जब एन्ग्जायती का फोकस कुछ स्थितियों पर टिका होता है जैसे ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिस -ऑर्डर में या फिर पोस्ट त्रौमेतिक स्ट्रेस डिस -ऑर्डर में (जहां फोकस में अटेक का ही डर होता है )इनका रोग निदान अलग होता है इलाज़ भी .अलग है ।
यूं एन्ग्जायती का वायस(वजह ) ड्रग और एल्कोहल एब्यूज भी बनते हैं .यह विद्रोवल सिंड्रोम के रूप में भी प्रगट होती है .बेन्जो -डाई -जा-पाइंस,कोकीन ,मारिजुआना सेवियों को भी एन्ग्जायती से दो चार होना पड़ता है लत से बाहर आते वक्त ।
कई स्तिम्युलेंट्स (उत्तेजक पदार्थ ),मसलन एम् -फीटा -मीन्स ,दमे के प्रबंधन में प्रयुक दवाएं ,स्तीरोइड्स ,केफीन आदि के उत्तर प्रभाव भी एन्ग्जायती पैदा करते हैं .
(ज़ारी ...)।
विशेष :अगली पोस्ट में पढ़ें ,गेड के इलाज़ .के बारे में .

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