हिस्ट -रेक -टमी;इस शल्य के तहत गर्भाशय ही निकाल दिया जाता है .युत्राइन -फिब -रोइड्स का यह सटीक और अंतिम समाधान है .गर्भाशय तराशी का यह एक एहम कारण बनता है .यह शल्य तभी अपनाया जाता है जब फिब -रोइड्स आकार में काफी बड़े होते हैं .साथ में हेवी ब्लीडिंग भी रहती हो .तथा रजो -निवृत्ति के दिन करीब होतें हैं .तथा उसे(महिला को ) संतान की चाहना भी शेष नहीं रह जाती है ।
यूट्रस तक पहुँचने के लिए एंट्री एबडोमन से भी ली जाती है उन मामलों में जिनमें फिब -रोइड्स (गर्भाश्यीय गठानों )का आकार बहुत बड़ा होता है ,लेकिन फिब -रोइड्स का आकार छोटा होने पर शल्य के लिए एंट्री वेजाईना(योनी मार्ग )से भी की जाती है .मकसद दोनों में ही गर्भाशय को ही काटकर को बाहार निकालना होता है .
कुछ मामलों में हिस्ट -रेक -टमी लापा -रोस्कोप से भी की जाती है ।
ओवरीज़ (दोनों अंडाशय )और सर्विक्स (गर्भाशय या बच्चे दानी की गर्दन )की तराशी इस शल्य के दरमियान वैकल्पिक होती है .
जिनका अंडाशय बाहर नहीं निकाला जाता है वह हिस्ट -रेक -टमी के वक्त रजो -निवृत्त नहीं होती है .
हिस -टे-रेक -टमी एक मेजर प्रोसीज़र है , बेशक अपेक्षा कृत खासा सुरक्षित माना जाता है यह शल्य लेकिन जटिलताओं की भी खासी गुंजाइश मौजूद रहती है .स्वास्थ्य लाभ में भी कई सप्ताह लग जातें हैं ।
(ज़ारी ...).
शुक्रवार, 20 मई 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें