गुरुवार, 5 मई 2011

कोंग्रेस मुख्यालय में मकबरा बनवाना चाहतें हैं दिग्गी -राजाजी .

हमारे एक मित्र हैं ,साहित्य में भी दखल और अभी रूचि दोनों रखतें हैं ."जलघर"नाम से एक ब्लॉग भी इन्होने बनाया था लेकिन ज़िन्दगी के कुछ और तकाज़े इन्हें इन दिनों ब्लॉग पे आने से रोक रहें हैं .नाम है इनका अनुराग शर्मा .+२स्तेजमें थे पिता की आकस्मिक मृत्यु हो गई .अकेली संतान थे .सिर्फ माँ साथ थी अभी भी हैं .इसलिए केन्द्रीय सरकार में पिता जिस मंत्रालय में काम करते थे उसी में इन्हें नौकरी दे दी गई .शिक्षा इन्होने पूरी की ,एम्एससी आई .टेक तक .(मास्टर ऑफ़ साइंस इन इन्फार्मेशन टेक्नो -लोजी ).
शादी- शुदा हैं,फिर भी नवयुवक बने हुए हैं .बीबी शासित हैं .(शोषित नहीं ,न पत्नी -पीड़ित )।
बहर-सूरत इन्होने अपने उदगार दिग्गी राजा के उस वक्तव्य के बारे में व्यक्त किये हैं दूर ध्वनी के मार्फ़त हम तक पहुंचाए हैं जो "ओसामा बिन लादेन के समुन्दर में दफ़न से ताल्लुक रखतें हैं "इस पेश -कश के साथ कि हम इन्हें अपने ब्लॉग पर संप्रेषित कर दें.आप भी साक्षी बने हमारे साथ :
दिग्विजय सिंह -जी को अमरीका से पेशकश करनी चाहिए उनकी लाश (उनका पार्थिव शरीर )दिग्विजय सिंह जी को दे दें .वे इसे कोंग्रेस मुख्यालय में दफ़न करवाना चाहतें हैं .एक मकबरा उनकी याद में भी बनवाना चाहतें हैं ताकि सनद रहे -
"कोंग्रेस एक धर्म -निर- पेक्ष दल है ।"
सेक्युलर -पुत्र और सेक्युअलर सिंह जितने इस दल में हैं हिन्दुस्तान के किसी और दल में नहीं हैं .इसीलिए तो इक्का दुक्का अपवादों संकर सरकारों के दौर को छोड़ दिया जाए तो इसी दल का शाशन हिन्दुस्तान पर रहा है ।
ये लोग "ओसामाजी" का मर्सिया पढ़ना चाहतें हैं ,कांग्रेस मुख्यालय पे .आखिर आतंकवादियों के भी मानव अधिकार होतें हैं क्या अमरीका को इतना भी नहीं मालूम ?पूर्व में यह दल शाहबानो को भी न्याय दिलवा चुका है .अजमल कसाब को भी "मेहमां जो हमारा होता है वह जान से प्यारा होता है "अंदाज़ में रखा हुआ है .पूर्व में एक प्रोफ़ेसर को भी पूरी इज्ज़क्त बख्शी थी .हमारे तो प्रधान मंत्रीजी की भी तब नींद उड़ गई थी जब एक डॉ को ऑस्ट्रेलिया में आतंकी होने के संदेह में पकड़ लिया गया था .यह डॉ . ज़नाब अज़मलजी का मौसेरा था .कोंग्रेस का दत्तक पुत्र ।
तो ज़नाब कोंग्रेस की एक लम्बी परम्परा रही है अल्प -संख्यक पूजन बंदन ।
मर्सिया पढवाने में हर्ज़ भी क्या है ?
आँख में गोली मारना मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है .दिग विजय इस मामले को "यु एन ओ "में ले जाने का विमर्श कर रहें हैं सोनिया माता और प्रिंसके साथ .

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