प्रग्नेंट वोमेन एंड नर्सिंग मदर्स :
खासकर बेन्जो -डाय -ज़ेपींस नवजात शिशु में श्वशन सम्बन्धी तथा विड्रावल सिम्पटम्स का कारण बन सकतीं हैं इस लिए इस वर्ग की दवाओं के सेवन के बारे में गर्भवती या फिर बच्चे को स्तन पान करवाने वाली महिलायें अपने डॉ को इस बाबत ज़रूर बतलादें .
इस वर्ग की दवाएं ओरल क्न्त्रासेप्तिविज़(मुंह से खाने वाली गर्भ निरोधी गोलियों के स्तर ) के लेविल को भी बढा देतीं हैं .इससे कुछ महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है .
विद्रोवल सिम्पटम्स :जो लोग यक -बा -यक अपने आपसे बिना किसी से पूछे गान्छे दवा बंद कर देतें हैं उन्हें विद्रोवल लक्षणों से दो चार होना पड़ता है ।
न्यूरो -ट्रांस -मीटर "गाबा "का स्तर नीचे आजाता है अचानक दवा बंद कर देने से नतीजा होता है २दिन से लेकर इक पखवाड़े तक एक्यूट और इंटेंस एन्ग्जायती की गिरिफ्त में आजाना .
मेडिकेशन इज तेपर्ड ऑफ़ टू प्रिवेंट सीज़र्स ,डिलिरियम एंड डेथ ,व्हिच मे अकर विद सडन डिस कन्तिन्युएशन .
इसीलिए दवा को कम भी बहुर धीरे -धीरे ही करना होता है डॉक्टरी परमार्श पर न की मनमर्जी से ।
बेन्जो -डाय -ज़ेपिंस के साथ सबसे ज्यादा मखौल किया जाता है (अल्प्रा -ज़ोलम इसी वर्ग में है ) जो जल्दी से अपना असर दिखाती है ,इसे स्ट्रेस की तात्कालिक दवा समझा जाता है मोस्ट एब्युज्ड ड्रग है यह फेमिली और फ्रेंड्स के बीच .पियक्कड़ों के लिए ज्यादा . बड़ा ख़तरा बन सकतीं हैं ये दवाएं इनका दुरोपयोग गाहे बगाहे सेवन ।
दो पैग का नशा होता है एल्प्रेक्स की एक टिकिया में इसीलिए अब डॉ के पर्चे पर ही मिलती है हिन्दुस्तान में भी ।सिडेशन के अलावा यह फिजिकल और मेंटल एबिलितीज़ पे भी अपना असर दिखाती है .इम -पेयर करती है दोनों को .ज़ाहिर है दो दवाएं एक साथ नहीं ली जानी चाहिए एल्कोहल और बेन्जो -डाय ज़ेपिन्ज़ ।बेशक अमरीकी दवा संस्था ने "बीटा -ब्लोकर्स "के स्तेमाल की मंजूरी "गेड"के लिए नहीं दी है लेकिन दिल की बीमारियों में स्तेमाल होने वाली ये दवाएं गेड के लक्षणों को कम ज़रूर करती हैं .नर्वस टेंशन से लेकर ,पसीना छूटना ,हाई -ब्लड प्रेशर तथा पेनिक तथा शेकिनेस को कम करतीं हैं .लेकिन इन्हें गेड के प्रबंधन में फस्ट लाइन ऑफ़ ट्रीट -मेंट नहीं माना गया है ।
इनके पार्श्व -प्रभावों में शरीक हैं :
बॉडी एक (बदन दर्द ),कन्फ्यूज़न (भ्रम की स्थिति पैदा होना ),अवसाद ,चक्कर आना ,ड्राई आईज होना ,इरेक्टाइल डिस -फंक्शन (लिंगोथ्थान अभाव ) ,अनिद्रा ,निम्न रक्त चाप ( ब्लड प्रेशर लो हो जाना ),नौज़िया और वोमिटिंग यानी मचली आना आदि।
किडनी और लीवर की बीमारियों से ग्रस्त लोगों में ये दवाएं समस्याएँ पैदा कर सकतीं हैं .स्तन -पान में भी शामिल हो जाती हैं ।
एक मर्तबा गंभीर किस्म की एन्ग्जायती का प्रबंधन होने के बाद इन्हें धीरे -धीरे हटा लिया जाता है ।
बुस्पिरोने टू ट्रीट एन्ग्जायती :बेशक गेड में इस दवा का स्तेमाल १९८६ से हो रहा है लेकिन यह शरीर में किस प्रकार काम करती है (शरीर क्रिया वैज्ञानिक असर इसके क्या हैं यह कोई नहीं जानता ).लेकिन सिम्पटम्स कम ज़रूर होतें हैं ।
अलावा इसके इसके कई फायदे भी दिखलाई देतें हैं :
एल्कोहल से यह इन्तेरेक्त नहीं करती है .(कंट्रा -इन्दिकेतिद नहीं है, एल्कोहल का सेवन ).विद्रोवल सिम्पटम्स की चपेट में मरीज़ दवा बंद होने पर नहीं आता है ,पार्श्व प्रभाव होतें भी हैं तो कमतर ।
लेक ऑफ़ रिलेक्सेंत मस्क्युलर इफेक्ट .लेक ऑफ़ सिदेतिव इफेक्ट .३-६ सप्ताह में इसका असर होने लगता है और कारगर ढंग से होता है ।
इसे अकसर एन्ग्जायती से थोड़े समय के लिए ही राहत दिलवाने के लिए ही स्तेमाल किया जाता है .बा -शर्ते मरीज़ इसके नीचे दिए पार्श्व प्रभावों से ज्यादा असर ग्रस्त न हों :
एजिटेशन ,एक्साइत्मेन्त,कन्फ्यूज़न ,दिज़िनेस ,फटीग और वीकनेस ,हेडेक ,नाउज़िया ,नर्वसनेस ।
(ज़ारी ॥)
विशेष :अगली पोस्ट में पढ़े -साइको -थिरेपी टू ट्रीट जन्रेलाइज़्द एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर .
बीटा -ब्लोकर्स टू ट्रीट एन्ग्जायती :
गुरुवार, 5 मई 2011
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