फिजियो -थिरेपी टू ट्रीट एन्ग्जायती :
डायनेमिक फिजियो -थिरेपी का लक्ष्य एन्ग्जायती के कारणों का पता लगा ना होता है .और इन वजहों को मरीज़ कैसे लेता है यह भी जानना बूझना होता है ।
फिजियो का काम मरीज़ को स्ट्रेस का मूल्यांकन करना सिखलाना होता है खुद जायजा लेना ख़ास कर तब जब वह व्यक्ति नितांत अकेला हो .कुछ तकनीकें भी उसे इसके प्रबंधन के लिए सिखलाई जातीं हैं ।
बिहेवियर थिरेपी का लक्ष्य एन्ग्जायती से ताल मेल बिठाना सिख- लाना है मरीज़ को ।
बिहेवियर और कोगनिटिव थिरेपी एक दूसरे का आरोहण करती हैं ,ओवर लैप करतीं हैं परस्पर .सांझा हैं कुछ बातें दोनों में ।
नव व्यवहार ग्रहण के लिए ज़रूरी है व्यक्ति गैर तार्किक विचारों से
अपना पीछा छुडाये .उनका स्थान तार्किक स्वस्थ सोच को दे .इनमे तरीकों में शामिल हो सकतीं हैं :
(१)बायो -फीडबेक
(२)कंट्रोल्ड एक्स्पोजार टू एन्ग्जायती कौजिंग सिच्युएसन्स ।
(३)मेडिटेशन ।
(४)प्लानिंग रिलेक्स्ड इवेंट्स एंड रिलेक्सेशन ट्रेनिंग .
(ज़ारी ....)
विशेष :व्हाट इज बायो -फीडबेक (पढ़िए अगली पोस्ट में ).
शुक्रवार, 6 मई 2011
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