क्यों ज़रूरी है स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना ?
क्योंकि स्ट्रोक (ब्रेन अटेक )दिमाग को ही असर ग्रस्त करता है इसलिए व्यक्ति को जिसे दिमागी दौरा पड़ रहा है खुद कुछ खबर नहीं रहती ।
एक राहगीर (तमाशबीन ),बाई -स्टेंदर को स्ट्रोक के चलते,इससे असर ग्रस्त व्यक्ति भ्रमित दिखेगा .बे -खबर है वह इस बात से ,उसे हो क्या रहा है .ऐसे में यदि राही को इन लक्षणों का पता हो तो वह असर ग्रस्त व्यक्ति की मदद कर सकता है आपातकालीन सेवाओं को खबर करके .हेल्प लाइन पे काल करके .क्योंकि -
असर ग्रस्त व्यक्ति यकायक खुद से कुछ भी नहीं बोल पाता है ,यदि उसका एक हाथ या एक पैर (शरीर के एक ही हिस्से )का काम करना बंद कर देता है ,चेहरे का एक ही पार्श्व भी पक्षाघात से असर ग्रस्त हो जाता है तब समझ लीजिये उसे स्ट्रोक पड़ रहा है ।
ध्यान रहे स्ट्रोक एक चिकित्सा आपातकाल है ,मेडिकल इमरजेंसी है ,जहां एक एक पल कीमती है ,टाइम इज गोल्ड .क्योंकि जितनी ज्यादा देर तक दिमाग को खून नहीं पहुंचेगा नुकसान उतना ही बढ़ जाएगा .फौरी इलाज़ न सिर्फ असर ग्रस्त व्यक्ति की जान बचा जा सकता है ,भरपाई भी नुकसानी की कामयाबी से हो जाती है ।
व्हाई इज दे- य़र ए नीड टू एक्ट फास्ट ?
इसकी वजह यह होती है ज्यादा मामलों में लोग स्कीमिक स्ट्रोक से ग्रस्त होतें हैं जिसे एक दवा टी -पीए से तुरंत रोका जा सकता है . तीन घंटे का मुबारक वक्त मिलता है ,विंडो ऑफ़ ओपोर्च्युनिती सिर्फ तीन घंटा है ,जिसके अन्दर -अन्दर मरीज़ का इलाज़ शुरू हो जाना चाहिए लेकिन यह तभी मुमकिन हो सकता है जब मरीज़ को घंटा भर में ही स्ट्रोक शुरू होने के अस्पताल पहुंचा दिया जाए ,ताकि आवश्यक परीक्षण (रोग नैदानिक ,सी टी स्केनआदि ) कर स्ट्रोक की किस्म को पुख्ता कर लिया जाए .
टी -पीए दवा खून के थक्कों को तुरत फुरत घोल देती है और दिमाग के उस हिस्से को रक्त मुहैयाहोने लगता है ,उस हिस्से को रक्त मुहैया करवाने वाली धमनी खुल जाती है जहां से स्ट्रोक शुरू हुआ था .लेकिन इससे पहले ,इसे दवा को आजमाने से पहले यह पुख्ता करना पड़ता है स्ट्रोक की वजह दिमाग में होने वाला रक्त स्राव नहीं है ,धमनी की फटन नहीं है ,हेमो -रेजिक स्ट्रोक नहीं है .धमनी अवरोध है .
व्हाट इज दी बेनिफिट ऑफ़ ट्रीट -मेंट ?
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्युरोलोजिकल डिस -ऑर्डर्स एंड स्ट्रोक द्वारा करवाए गए एक पांच साला अध्ययन से पता चला है जिन लोगों को स्ट्रोक शुरू होने के तीन घंटा के भीतर टी -पीए दवा मिल जाती है उनके स्ट्रोक से पैदा नुकसानी की भरपाई की संभावना ३० % और भी बढ़ जाती है ,तथा तीन माह के अंदर इनमे नाम मात्र की अक्षमता ही शेष रह जाती है .अकसर पूरी तरह लक्षण समाप्त हो जातें हैं ।
व्हाट कैन आई डू टू प्रिवेंट ए स्ट्रोक ?
स्ट्रोक का सर्वोत्तम इलाज इससे बचाव ही है .कई जोखिम तत्व हैं जो रिस्क के खतरे के वजन को बढा देतें हैं :
(१)हाई -ब्लड -प्रेशर ।
(२)दिल की बीमारियाँ ।
(३)स्मोकिंग ।
(४)डायबिटीज़ ।
(५)हाई -कोलेस्ट्रोल ।
यदि आप स्मोक करतें हैं तो छोड़ दीजिये धूम्रपान करना ।
यदि आपको उपर्युक्त (उल्लेखित )मेडिकल कंडीशंस हैं ,इनका समुचित प्रबंधन और विनियमन और नियंत्रण स्ट्रोक के खतरे को बहुत कम कर देता है ।
(ज़ारी ...)।
इस बार का शैर सुनिए -
ये जुबां हमसे सी नहीं जाती ,
ज़िन्दगी है कि जी नहीं जाती ।
देखिये उस तरफ उजाला है ,
जिस तरफ रौशनी नहीं जाती .
रविवार, 15 मई 2011
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