स्ट्रोक (ब्रेन अटेक या दिमागी दौरा ):
स्ट्रोक या दिमागी दौरा तब पड़ता है जब दिमाग के किसी भी हिस्से तक आकस्मिक तौर पर रक्त की आपूर्ति यकायक निलंबित हो जाती है रुक जाती है ,अवरुद्ध हो जाती है ,यही स्कीमिक अटेक है ।
अलावा इसके दिमाग की किसी ब्लड वेसिल का फटना बर्स्ट होना भी स्ट्रोक की वजह बनता है .जिसमे खून छिटक कर उस हिस्से के आसपास की कोशिकाओं को ,उस अंतराल को तरबतर कर देता है .यही हेमो -रेजिक स्ट्रोक है ।
स्ट्रोक के लक्षण भांपना मुश्किल नहीं है -
शरीर के सिर्फ एक हिस्से में आकस्मिक सुन्नी ,बेहद की आंगिक कमजोरी ,भ्रम की स्थिति जिसमे बोलना कुछ भी मुश्किल होजाता है ,दूसरे की बात समझ पाना भी उतना ही दुश्वार हो जाता है .एक या दोनों ही आँखों से दिखलाई देने में खासी मुश्किल पेश आना ,डबल विज़न ,चल न पाना ,चलने में खासी दिक्कत का सामना करना ,संतुलन और समन्वयन दोनों का अभाव .आंगिक संचालन समन्वयन मुश्किल हो जाना ।
दिमागी कोशिकाएं रक्त से ऑक्सीजन और पुष्टिकर तत्व न मिल पाने पर एक दम से मृत हो जातीं हैं ,दिमाग में रक्तस्राव होने पर भी आसपास के खून से संसिक्त होने पर भी कोशिकाएं नष्ट हो जातीं हैं ।
यह मृत कोशाएं कम्प्रोमाइज़्द स्टेट में घंटों पड़ी रह सकती हैं .फ़ौरन इलाज़ मिलजाए तो इन्हें बचाया भी जा सकता है .
कई तरकीबें हैं स्ट्रोक के रोग निदान की डायग्नोसिस की -
(१)ए शोर्ट न्यूरो -लोजिकल एग्जामिनेशन ।
(२)ब्लड टेस्ट्स ।
(३)सी टी स्केन्स ,एम् आर आई स्केन्स .
(४)डोपलर अल्ट्रा -साउंड तथा आर्टीरियो -ग्रेफ़ी (विस्तार से चर्चा कर चुकें हैं गत पोस्टों में )।
कुछ परिवारों में चलता प्रतीत होता है ब्रेन अटेक का रोग .पारिवारिक सदस्योंमे इससे ग्रस्त होने का एक आनुवंशिक रुझान ,प्रवृत्ति ,रोग प्रवणता दिखलाई दे सकती है .जीवन शैलियाँ भी रुग्ण(अन -हेल्दी लाइफ स्टाइल्स ) चली आतीं हैं ,जिन्हें उत्तरोत्तर पीढियां अपनाती जातीं हैं .
हाई -पर -टेंशन ,हार्ट डिजीज ,डायबिटीज़ तथा स्मोकिंग स्ट्रोक के लिए बड़े जोखिम पूर्ण तत्व हैं .
अलावा इसके हेवी एल्कोहल कन्ज़म्प्शन (बे -हिसाब रोज़ शराब पीना ,बिंज ड्रिंकिंग ),हाई -ब्लड कोलेस्ट्रोल लेविल्स (खून में सीरम कोलेस्ट्रोल का ज्यादा होना ,इसमें भी एच डी एल का मान्य स्तर से कम तथा एल डी एल का ज्यादा रहना ),प्रतिबंधित नशीली दवाओं का चस्का (ड्रग एब्यूज ),आनुवंशिक या फिर जन्मजात कंडीशंस का मौजूद
होना भी स्ट्रोक के खतरे को बढा देता है ।
औरतों के लिए रिस्क के खतरे कुछ और भी और अलगसे भी
होतें हैं ,जिनमे गर्भावस्था ,प्रसव और रजस्वला होना शामिल है ।
(ज़ारी ...)।
इस मर्तबा का शैर सुनिए :
रफीकों से रकीब अच्छे जो जलकर नाम लेतें हैं ,
गुलों से खार बेहतर हैं ,जो दामन थाम लेतें हैं .
रविवार, 15 मई 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें