हाई -पर -टेंशन या हाई -ब्लड -प्रेशर :जितने भी जोखिम हैं स्ट्रोक के लिए उनमे सबसे बड़ा ख़तरा पैदा करता है उच्च रक्त चाप -दिमागी दौरे (आम भाषा में दिमागी नस का फटना ,ब्रेन अटेक ,स्ट्रोक ,सेरिब्रल हेम्रिज ,सेरिब्रो -वैस्क्युलर एक्सीडेंट )की आशंका का ।
हाइपर टेंशन से ग्रस्त लोगों के लिए स्ट्रोक के खतरे का वजन ४-६ गुना बढ़ जाता है बरक्स उनके जो हाई -ब्लड प्रेशर से मुक्त है ।
अमरीका की कुल बालिग़ आबादी में एक तिहाई हाइपर टेंशन के साथ जी रहें हैं .दूसरे शब्दों में तकरीबन ५ करोड़ लोग. इनमे ४०-७० %६५ साल से ऊपर के लोग भी शामिल है .
स्ट्रोक इवेंट से पहले ४०-९० %स्ट्रोक पेशेंट्स हाई -पर -टेंशन से ग्रस्त रहे होतें हैं ।
१२० मिलीमीटर ऑफ़ मरकरी रक्त चाप का ऊपरी पाठ (सिस्टोलिक प्रेशर )तथा ८० निचला पाठ (डाय -स्टोलिक )सामान्य माना जाता है ।
इन रक्त चाप मानों का १४०/९० से बराबर ऊपर बना रहना हाइपर टेंशन के रोग निदान को पुख्ता कर देता है .
हालाकि स्ट्रोक के कुल जोखिम के लिए हाई ब्लड प्रेशर से पैदा जोखिम उम्र बढ़ने के साथ कम होता जाता है .ज़ाहिर है उम्र दराज़ लोगों में अन्य कारक स्ट्रोक के खतरे के वजन को ज्यादा बढातें हैं .
जिन लोगों को हाई पर टेंशन की शिकायत नहीं रहती है उनके लिए उम्र के साथ ९० की उम्र तक एब्सोल्यूट स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ता रहता है जो ९० की उम्र में उतना ही हो जाता जितना हाई -पर टेंशन से ग्रस्त रहने वालों के लिए होता है ।
स्ट्रोक की ही तरह हाई -पर टेंशन के पाए जानेकी दर ,प्रिवेलेंस में भी जेंडर का रोल होता है .
युवावस्था में मर्द इसकी चपेट में ज्यादा आतें हैं ,लेकिन उम्र के बढ़ने के साथ ही यह औरतों में मर्दों से ज्यादा देखा जाता है .यानी बढती उम्र के साथ इसकी होने की दर औरतों में ज्यादा हो जाती है .
यही हाई -पर -टेंशन जेंडर डिफ़रेंस इन समूहों में स्ट्रोक के मामलों के अंतर को भी बढाता है .
ज़ाहिर है एंटी -हाइपर -टेंशन मेडिकेशन स्ट्रोक के खतरे के वजन को कम करता है .(बा -शर्ते आदमी दवाई खाता रहे हाई ब्लड प्रेशर के प्रबंधन के लिए नियम निष्ठ होकर ,आप और मैं ऐसे कई लोगों को जानतें हैं जो फक्र से कहते हैं मैं तो दवाई खाता /खाती नहीं हूँ सबसे ज्यादा खतरनाक है ब्लड प्रेशर की दवा आप से आप बंद कर देना आप अपना इससे ज्यादा और कोई नुकसान कर ही नहीं सकते किसी भी प्रमुख अंग को ले बैठता है बे -काबू ब्लड प्रेशर ).
हालिया अध्ययनों से पता चला है हाई -ब्लड प्रेशर का प्रबंधन ,इलाज़ स्ट्रोक के मामलों में ३८ %तथा इससे होने वाली म्रत्यु दर को ४० %तक कर देता है ।
"कोमन हाई -पर -टेंसिव एजेंट्स इनक्लूड एड्रिनार्जिक एजेंट्स ,बीटा -ब्लोकर्स ,एनजीओ -टेन -सिन कंवर्टिंग एंजाइम इन -हिबीतर्स,केल्सियम चेनल ब्लोकर्स , डाय -युरेतिक्स ,एंड वैसो -डाय -लेटर्स ।".
(ज़ारी ...)।
हमेशा की तरह इस बार भी शेर क्या, इस बार पूरी ग़ज़ल ही पढ़िए :
धूप साया नदी हवा औरत ,
इस धरा को नेमते ,खुदा औरत ।
नफरतों में जला दी जाती है ,
ख्वाबे मोहब्बत की जो अदा औरत .
गाँव शहर या कि फिर महानगर ,
हादसों से भरी एक कथा औरत
मर्द कैसा भी हो कुछ भी करे ,
पाक दिल है तो भी खता औरत ,
हो रिश्ता ,बाज़ार या कि सियासत ,
है चाल तुरुप की बला औरत ।
कहानी ,नज्म ,मुशायरा और ग़ज़लें ,
किताबे जिंदगी का ,हर सफा ,औरत ।
समाज अपना है ,नाज़ करे कैसे ,
मुसल्सल पेट में होती है फना औरत .
है सच यही ज़रा इसे समझो ,
इंसानियत का मुकम्मिल पता औरत ।
घर ,बाहर या फिर कहीं भी हो ,
दिल से निकली हुई दुआ औरत .
री -मिक्स प्रस्तुति :डॉ .नन्द लाल मेहता "वागीश "।
एवं वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )।
विशेष :इस ग़ज़ल को लिखने की प्रेरणा यहाँ तक की कुछ प्रतीक भी डॉ .वर्षा सिंह की ग़ज़ल "धूप पानी नदी हवा औरत "से ली गई है .आजकल री -मिक्स का दौर है एक री -मिक्स यह भी था जो आपने पढ़ा ।
वीरुभाई .
मंगलवार, 10 मई 2011
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