स्ट्रोक के खतरे के वजन को मधुमेह रोग अपनी तरह से बढाता है .तीन गुना बढ़ जाता है मधुमेहियों के लिए स्ट्रोक का ख़तरा गैर -दाय्बेतिक्स के बरक्स ।
स्ट्रोक का ख़तरा मधुमेह के साथ जीवन के पांचवें और छटे दशकों में अपेक्षाकृत अधिकतम हो जाता है ,इसके बाद घट जाता है ।
हाई पर टेंशन रिस्क फेक्टर की तरह ही डायबिटीज़ से भी सापेक्षिक ख़तरा स्ट्रोक का मर्दों के लिए युवावस्था में ज्यादा रहता है औरतों से लेकिन ओल्डर एज में यह बढ़कर औरतों के लिए सर्वाधिक हो जाता है .
मधुमेह ग्रस्त लोगोंमें और दूसरे भी जोखिम तत्व हो सकतें हैं जो स्ट्रोक के खतरे को भी कुल मिलाकर बढा देते हैं .
मसलन हाई पर टेंशन की दर भी (प्रिव्लेंस ) मधु- मेह ग्रस्त लोगों में अन्यों से ४० %ज्यादा रहती है .आप जानतें हैं स्ट्रोक के लिए हाई -पर -टेंशन ही सबसे बड़े खतरे की वजह बनता है ।
(ज़ारी ...)।
हमेशा की तरह एक शैर इस बार भी पढ़िए :
कितनी आसानी से मशहूर किया है खुद को ,
मैं ने अपने से बड़े शख्श को गाली दी है .
मंगलवार, 10 मई 2011
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4 टिप्पणियां:
sundar aur jankari se bhari post thanks with regards
शुक्रिया तुषार भाई .
अच्छी जानकारी.... शेर भी बहुत बढ़िया लगा....
शुक्रिया !आपका .
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