आनुवंशिक ,मनो -सामाजिक तथा पर्यावरणी कारण सभी इसके लिए उत्तरदाई हो सकतें हैं .इनका परस्पर इंटे-रेक्शन भी अपना योगदान दे सकता है .
(१)जींस :रिसर्चर ख़ास जीवन इकाइयों का अन्वेषण कर रहें हैं ,जो एन्ग्जायती और फीयर की वजह बनतें हैं .सोशल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर कई परिवारों मेंभी पाँव पसारे प्रतीत होता है .एन्शश बिहेवियर व्यक्ति परिवार के दूसरे सदस्यों से भी ग्रहण करता है .अर्जित व्यवहार भी होता है .३०-४० %मामलों में इसकी आनुवंशिक वजहें रहतीं हैं .एमिग्डाला के काम करने के ढंग में रह गई खामियों से जो डर से पैदा एन्ग्जायती को ,स्ट्रेस को हेंडिल करता है से लेकर सेरोटोनिन के असंतुलन तक जो एकन्यूरो -ट्रांस -मीटर है तथा न्यूरोन -से -न्यूरोन की बातचीत को विनियमित करता है अनेक खानदानी विरासत में मिली वजहें हो सकतीं हैं ,जीवन खंड हो सकतें हैं इस विकार के मूल में .।
(२)जैव रासायनिक वजहें :शरीर में बनने वाले कुदरती रसायनों (जैव रसायनों ) का भी हाथ हो सकता है सोशल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर में .ऊपर हम सेरो -टेनिन के इम्बेलेंस की चर्चा कर चुकें हैं जो एक दिमागी रसायन है .यह जैव रसायन हमारे संवेगों ,मूड को वि -नियमित करता है ,कई और काम भी अंजाम तक ले जाता है ।
जिन लोगों में यह विकार रहता है वे इस जैव रसायन के असर के ,प्रति ,अतिरिक्त रूप से, बेहद संवेदनशील हो सकतें हैं .
(३)फीयर रेस्पोंसिज़ :कुछ रिसर्चर ऐसा मानतें हैं एक दिमागी "संरचना "अम्य्ग्दाला "(उह-मिग -दुह -लुह , एएम्वाईजीडीएएलए ),जो भय के प्रति क्या अनुक्रिया करनी है ,इस अनुक्रिया को कैसे नियंत्रित करना है ,अपना पार्ट प्ले करती है ।
अमिग -डाला का ओवर -एक्टिव रहना कुछ लोगों में अतिरिक्त रूप से बढ़ी हुई फीयर रेस्पोंस की वजह बन सकता है ।यानी डर उतना नहीं है जितनी अनुक्रिया है .
(ज़ारी ...).
शनिवार, 7 मई 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
3 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी जानकारी..... आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में अत्यधिक दबाव है मानसिक भी शारीरिक भी..... ऐसी समस्याएं काफी बढ़ रही हैं..... सार्थक पोस्ट आभार
बहुत काम की है ये जानकारी.आभार.
मोनिका शर्माजी ,कुंवर कुसुमेश्जी !उत्साह वर्धन के लिए आप दोनों का शुक्र गुज़ार हूँ .
एक टिप्पणी भेजें