सोशल एन्ग्जायती -डिस -ऑर्डर ,लक्षण क्या हैं इस विकार के ?
यह एक देर तक बना रहने वाला मानसिक विकार है ,क्रोनिक मेंटल हेल्थ कंडीशन है ,जिसमे एक अतार्किक नर्वस -नेस (एन्ग्जायती )खयालो पे हावी रहती है .और यह बे -चैनीतब तब पैदा होती है जब जब आप घर से बाहर निकलके लोगों के बीच आतें हैं .आपको तब तब ऐसा लगता है लोग आपको ही देख रहें हैं आपकी हरकतों पर निगाह रखें हैं .आपको यह भी लगता है आप अपनी हरकतों से खुद को ही शर्म- शार करेंगें ,अपमानित होंगें ।पानी -पानी होंगें .सोशल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर के भावात्मक (हमारे संवेगों से ताल्लुक रखने वाले ),व्यवहार सम्बन्धी तथा भौतिक लक्षण प्रगट हो सकतें हैं .इनमे शामिल रह सकतें हैं :
(१)अजनबी लोगों के बीच में जाने का बेहद का डर आपको सालता रह सकता है .(संकोच से अलग है यह चीज़ )।
(२)आपको यह भय रहेगा आपकी पोल खुल जायेगी लोग आपको जज कर लेंगे ।
(३)आप खुद की ही बे -इज्ज़ती और शर्म -शारी का सबब बन जायेगें .यह भय बरपा रहेगा आप पे ।
(४)दूसरे यह जान जायेगें कि आप परेशान है ,हैरान है ।
(५)एन्ग्जायती आपको अपनी दैनिकी से काट के रख देती है स्कूल ,कोलिज ,दफ्तर जहां भी आप जातें हैं नर्वस नेस घर से ही साथ निकलती है
(६)आप कतरातें हैं लोगों से मिलने में ,कई और काम करने में इसी एन्ग्जायती की वजह से ।
(7)आप ऐसी स्थितियों से कन्नी काट जातें हैं जहां लगता है आपको कि फोकस में आप ही होंगें सबके ।
ब्लशिंग ,बेहद पसीना छूटना (हथेलियाँ और बाल तक गीले हो जातें हैं सिरोवल्क के स्केल्प के )।
कांपना ,शेकिंग ,मिचली आना ,स्टमक अपसेट हो जाना ,कहीं निकलने से पहले टोइलेट की और पहले जाना ।कब्ज़ का होना .
बात करना मुहाल होना ,मुश्किल से बात कर पाना ,शेकी वोईस ,पेशीय खिंचाव (मसल टेंशन ),भ्रम और पल्पिटेशन (दिल की धुक धुक ,लुब डूब साउंड का बढना ).डायरिया की गिरिफ्त में आना ,कोल्ड ,क्लेमि हेंड्स .आँख नहीं मिला पाना सामने वाले से .आँख में आख डालके बात करना तो दूर की बात है ।
आत्म विश्वास की कमी भी आप में पैदा हो सकती है इस विकार से ग्रस्त होने पर .अपनी बात आप सुनिश्चितहोकर बल पूर्वक नहीं कह पाते .अपने बारे में नकारात्मक बात करना .अपनी आलोचना के प्रति बेहद सेंसिटिव (संवेदनशील हो उठना )।
आपको यह पता होता है आपकी एन्ग्जायती तार्किक नहीं है स्थिति के अनुरूप नहीं है आप ज्यादा परेशान हो रहें हैं .सोच सोच के .लेकिन फिर भी आप उन स्थितियों से बचने की कोई कोशिश करते हैं जो इस एन्ग्जायती को हवा दे रहीं हैं .और वास्तव में इन लक्षणों के होने की चिंता से ही आप इनकी चपेट में आते चले जातें हैं ।
(ज़ारी ...).
शनिवार, 7 मई 2011
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