शनिवार, 7 मई 2011

सोसल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर क्या है ?

सोशल फोबिया या "एस ए डी "यानी सोसल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर क्या है ?
सोशल फोबिया या सोशल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर एक ऐसा एन्ग्जायती -विकार है जिसमे व्यक्ति की एन्ग्जायती और नर्वस नेस ज़रुरत से ज्यादा बढ़ जाती है ,बेहद आत्म सचेत हो जाता है वहरोजमर्रा की सामाजिक स्थितियों के प्रति .
सोशल फोबिया (सामाजिक भीती ) एक ही किस्म की स्थितियों से रु -बा -रु होने तक सीमित हो सकता है ,मसलन औपचारिक या अन -औपचारिक तौर पर कहीं बोलना संभाषण करना (पब्लिक स्पीकिंग )या फिर दूसरोंके सामने खाना -पीना ,लिखना या फिर इससे गंभीर रूप से ग्रस्त होने पर ,प्रगटीकरण पर व्यक्ति किसी भी समय ,कहीं भी दूसरों के बीच आने जाने में बेहद की नर्वस -नेस महसूस करता है .घर के बाहर के किसी भी व्यक्ति का संसर्ग उसे असहज और परेशान कर देता है .
"एनटीसी -पेट्री फोबिया "होता है सामाजिक सेटिंग्स के प्रति चाहे वह स्कूल हो कोलिज हो या कोई पार्टी .स्थिति से पहले स्थिति का भय .घर से निकलते ही डर हावी और मंजिल (स्थान विशेष )से दूरी कम होते जाने के साथ -साथ एक संकोच ,अवमानित ,अपमानित ,एक्सपोज़ होने का ,भय सालता ही जाता है .वन कैन फील सिक इन दी स्टमक ,एज इफ हिट बाई फ्ल्यू .
हथेलियाँ पसीने से भीग जायेंगी ,दिल की धुक धुक बे साख्ता बढ़ जायेगी ,मानों बल्लियों उछल रहा हो दिल .खुद से औरों से दूर चला जाता है व्यक्ति ।
वन कैन गेदर दी फीलिंग ऑफ़ बींग रिमूव्ड फ्रॉम वन सेल्फ एंड फ्रॉम एवरी बॉडी एल्स ।
और मंजिल पर पहुँचने पर चेहरा सुर्ख लाल हो जाएगा ,लगेगा सब के फोकस में वह ही है .सबकी नजरें उसी पर टिकी हुईं हैं लोग मुझे ओब्ज़र्व कर रहें हैं .ऐसा ख़ास कर तब होता है जब पहले भी किसी सामाजिक सेटिंग में व्यक्ति अवमानित अपमानित हो चुका हो या उसके सामने किसी और की बे- सलूकी पर खिल्ली उड़ाई गई हो ,और कोई और शर्म शार हुआ हो उसकी नजरों के आगे .
सोशल फोबिया जिसे सोशल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर भी कहा जाता है तब रोगनिदानित (डायग्नोज़ ) हो जाता है जब हर ज़मावड़े ,बाहर की किसी भी जगह,हर सोशल सेटिंग में , ऐसा होने लगें लोगों के बीच आने पर .
घटना या स्थिति से रु -बा -रु होने से कितने ही दिनों क्या हफ़्तों पहले शर्म -शारी का आलम घेर लेता है .ज़ाहिर है ऐसे में डर की व्याप्ति स्कूल ,दफ्तर ,कामकाजी जगह ,और दूसरी गति -विधियों आम रोज़ मर्रा की चीज़ों की खरीदारी ,शोपिंग में खलल पैदा करती है .यार दोश्त बनाना उनके साथ टिके रहना मुमकिन नहीं रह जाता है ।
कितने ही लोगों को पता होता है उनका डर फ़िज़ूल है ,तर्क आश्रित नहीं है ,लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं चल पाता कहीं कुछ गलत है उनके सोचने के ढंग में ,बाहर कुछ नकारात्मक नहीं है ,इलनेस उनके सोचने के तरीके में है ।
लेदे के कहीं पहुँच भी गए तो सिमटे सिकुड़े ,उखड़े परेशान रहेंगे पूरे वक्त .(ध्यान रहे यह संकोची स्वाभव का सामान्य हिस्सा नहीं है ,विकार है जिसका इलाज़ होना चाहिए ।).शर्म -ओ -हया ,ब्लशिंग ,पसीने में भीगे खड़े रहेंगें .मचली करने को दिल करेगा .वापस लौटने पर भी यही सोचते रह जायेगें कैसे सब लोग उसी की हरकतों को देखे जा रहे थे और वह ज़मीन में गढा जा रहा था .
डिप्रेशन (अवसाद )और एल्कोहल एब्यूज के बाद यह अमरीकियों में पाए जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा विकार है जिससे एक करोड़ ९२ लाख अमरीकी फिलवक्त ग्रस्त हैं (एक अनुमान ).आम तौर पर इसकी शुरुआत किशोरावस्था में होती है कई मर्तबा ,युवावस्था की देहलीज़ पर पहुँचते ही ऐसा हो सकता है ,यूं कोई उम्र नहीं है कभी भी पैदा हो सकता है यह विकार किसी में भी ।
महिलायें मर्दों से ज्यादा इसकी चपेट में आतीं हैं .
अवसाद ,ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिस -ऑर्डर ,पेनिक डिस -ऑर्डर,सब्सटेंस एब्यूज के साथ भी चला आता है सोशल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर ।
अच्छी खबर यही है इसका बाकायदा कामयाब इलाज़ है -साइको थिरेपी ,कोगनिटिव बिहेवियर थिरेपी ,रिलेक्शेशन थिरेपी ,मेडिकेसंस।
(ज़ारी ...).



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