शुक्रवार, 6 मई 2011

हाव डज़ बायो फीड बेक वर्क्स ?

रिसर्चरों कोखुद भी ठीक से नहीं मालूम बायो -फीड -बेक क्यों और कैसे काम करती है .अलबत्ता एक सांझा सूत्र है :जितने भी लोगों को बायो फीड से फायदा पहुंचता है वे तमाम लोग ऐसी कंडीशंस से ग्रस्त होतें हैं जो या तो स्ट्रेस से पैदा होतीं हैं या और भी बदतर हो जातीं हैं स्ट्रेस के ट्रिगर से ।
इसीलिए कितने ही साइंसदान अब ऐसा मानने बूझने लगें हैं ,कामयाब बायो- फीड- बेक- चिकित्सा की चाबी "शिथलीकरण ,रिलेक्शेशन "है ।
जब हमारा शरीर तनाव ग्रस्त होता है ,क्रोनिक (चिरकालिक ,बने रहनेवाले दवाब में होता है )कुछ आंतरिक शरीर वैज्ञानिक शरीर क्रियात्मक क्रियाएं ज़रुरत से ज्यादा तेज़ हो जातीं हैं ओवर -एक्टिव हो जातीं हैं .
एक बायो -फीड निदेशक के मार्ग दर्शन और प्रशिक्षण में रिलेक्शेशन तकनीकों और मानसिक अभ्यासों एक्सर साइज़ीज़ द्वारा आप अपने रक्त चाप को कम करना सीख जातें हैं .जब आप इस दिशा में कामयाब रहतें हैं ,नतीजे आपको मानिटर बतला दिखा देता है .बस आपके प्रयास पुनर -बलित हो जातें हैं ,पंख लग जातें हैं आपको आप ,दूने प्रयासों से सही दिशा में आगे बढ़ जातें हैं .
(ज़ारी ...).

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