बायो -फीडबेक ?
बायो -फीडबेक एक ऐसी टेकनीक है के जिसके तहत व्यक्ति को कई शरीर वैज्ञानिक क्रियाओं का सचेतन नियंत्रणऔर विनियमन करना सिख -लाया जाता है .वे क्रियाएं जो अचेतन रूप इन -वोलन -टारिली संपन्न होतीं हैं उनकोचेतन मन से सचेत हो , रेग्युलेट करना सिखलाया जाता है , मसलन ब्लड प्रेशर का, हार्ट रेट ,पेशीय तनाव और त्वचा का तापमान आदि का .इस एवज ऐसी मानीतरण प्रणालियों का स्तेमाल किया जाता है जो इन शरीर में चलने वाली जैविक क्रियाओं को दर्शाती चलतीं हैं .इसका बा -कायदा प्रशिक्षण दिया जाता है .
वास्तव इसे हासिल करने के लिए व्यक्ति की चमड़ी से इलेक्ट्रोड्स सम्बद्ध कर दिए जाते हैं यही इन क्रियाओं का मापन कर इनको मोनिटर पर प्रदर्शित करते हैं ।
बायो -फीड -बेक थिरेपिस्ट की मदद से आप अपनी हार्ट रेट (दिलकी लय )या ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकतें हैं .शुरू- शुरू में मानिटर इन क्रियाओं से वाकिफ होने में आपकी मदद करता है धीरेधीरे व्यक्ति खुद -बा- खुद इनको बूझने लगता है .फिर न मोनिटर की ज़रूरत पडती है न इलेक्ट्रोड्स ।
खासकर हाई -पर -टेंशन ,टेंशन हेडेक ,मीग्रेन हेडेक ,क्रोनिक पैन (दीर्घावधि से चला आ रहा पुराना दर्द )तथा मूत्र त्याग असंयम (यूरिनरी इन- कोंटिनेंस)।
आजकल जन्रेलाइज़्द एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर के प्रबंधन में भी इसका स्तेमाल होने लगा है .
कई अंग हैं बायो -फीड बेक के :
(१)इलेक्ट्रो -मायो -ग्रेफ़ी :यह पेशीय तनाव (मसल टेंशन )का मापन करती है ।
(२)थर्मल फीडबेक :चमड़ी के तापमान की खबर रखती है ।
(३)न्यूरो -फीड -बेक या इलेक्ट्रो -एनसी -फेलो -ग्रेफ़ी :दिमांगी तरंगों का मापन /रेखांकन करती है .
(ज़ारी ...).
शुक्रवार, 6 मई 2011
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