इस ग़ज़ल को लिखने की प्रेरणा यहाँ तक के कुछ प्रतीक भी डॉ .वर्षा सिंह की ग़ज़ल "धूप पानी नदी हवा औरत ,
ज़िन्दगी का पता औरत" से ली गई है ".आजकल री -मिक्स का दौर है एक री -मिक्स यह भी -
धूप साया नदी हवा औरत ,
इस धरा को नेमते खुदा ,औरत ।
नफरतों में जला दी जाती है ,
ख्वाबे मोहब्बत की जो अदा औरत ।
गाँव शहर या कि फिर महानगर ,
हादसों से भरी एक कथा औरत .
मर्द कैसा भी हो ,कुछ भी करे ,
पाक दिल है तो भी ,खता औरत ।
हो रिश्ता, बाज़ार या कि सियासत ,
है चाल तुरुप की ,बला औरत ।
कहानी ,नज़्म मुशायरा और ग़ज़लें ,
किताबे ज़िन्दगी का हर सफा ,औरत ।
समाज अपना है ,नाज़ करे कैसे ,
मुसल्सल पेट में होती है फना औरत .
है सच यही ,ज़रा इसे समझो ,
इंसानियत का मुकम्मल पता औरत ।
घर ,बाहर या फिर कहीं भी हो ,
दिल से निकली हुई दुआ ,औरत ।
री -मिक्स प्रस्तुति :डॉ .नन्द लाल मेहता "वागीश ".डी .लिट
एवं वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
डॉ .मेहता मेरे पूर्व सहयोगी और गुरु समान मित्र हैं .संस्कृति विशेषज्ञ हैं ।
आपका डी .लिट का विषय रहा है :भारतीय शब्द चेतना के स्वरूप को गढ़ने वाले कौन से कारक तत्व हैं .ऐसे १०८ शब्दों को लिया गया है जिनमे ६५ आध्यात्मिक ,४० सामाजिक और ५ साहित्यिक जगत से ताल्लुक रखतें हैं ।
इन शब्दों के समकक्ष अंग्रेजी भाषा में कोई शब्द नहीं है ऐसा मनीषियों का मामना है ।
विशेष :आज अपने जन्म दिन(पांच मई १९४७ ) पर गुरु समान मित्र को याद किया है .आपका आवास है :
डॉ ,नन्द लाल मेहता "वागीश ",१२१८ ,शब्द -लोक ,अर्बन एस्टेट ,गुडगाँव -१२२-००१ (हरियाणा )।
वीरुभाई ,४३३०९ ,सिल्वरवुड ड्राइव ,केंटन ,मिशिगन ४८ १८८ -१७८१
दूर -ध्वनी :००१ -७३४-४४६ -५४५१ .
गुरुवार, 5 मई 2011
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