पेनिक डिस -ऑर्डर (पेनिक अटेक):पेनिक डिस -ऑर्डर इक गंभीर स्थिति है जिससे ७ ५ में से इक व्यक्ति रु -बा -रु हो सकता है .भुगत सकता है इस एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर को पेनिक अटेक को ।
अकसर -
किशोरावस्था या फिर जीवनके शुरूआती बालापन में इसके लक्षणों का इस विकार का प्रगटन होता है .
बेशक इसका सही सही कारण नहीं बतलाया जा सकता लेकिन जीवन के दवाब पूर्ण संक्रमण कालीन दौर में मसलन कोलिज लाइफ से बाहर आना ग्रेज्युएशन के बाद ,विवाह हो जाना ,या पहली संतान का आना अनेक ट्रिगर हो सकतें हैं इस विकार के ।
दिमागी रसायनों में सेरो -टोनिन का असंतुलन भी इसकी वजह बन सकता है .कई अन्य आनुवंशिक वजहें और भी हो सकतीं हैं ।
मसलन वंश वेळ में किसी और व्यक्ति का इस विकार से ग्रस्त रहा होना .,आपके लिए भी इसके खतरे के वजन को बढा सकता है .खासकर जीवन के उस दौरे दौरा में जब आप पर तनाव बरपा रहता है आपकी इस मोर्बिड कंडीशन में चले आने की संभावना थोड़ी सी और बढ़ जाती है ।
शून्य में से चला आता है "पेनिक अटेक "बिना किसी चेतावनी और मौजूदा कारण के ,बस एक डर की जकड़न,मोर्बिड फीयर आपको आ घेरता है .फीयर का फीयर है यह .कहीं फिर अटेक न आजाये .इक सर्व व्यापी डर है यह जिसकी कहीं कोई आसपास वजह नहीं दिख रही है ।
पेनिक डिस -ऑर्डर(पी डी ) और जन्रेलाइज़्द
एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर (जी ए डी )में एक ख़ास अंतर फोकस का है .
पी डी में फोकस में भय है अटेक की आशंका है इसलिए आप पब्लिक प्लेस पे नहीं जाते ,जाने से कतरातें हैं (अगारो -फोबिया ,बाज़ार ,शोपिंग माल्स आदि में जाने का खुले स्थानों पर न आने का भय बरपा रहता है आप पे )।जी ए डी में फोकस में अनेक स्थितयां ,नौकरी की वित्त की चिंता ,स्वास्थ्य की चिंता ,इसकी चिंता उसकी चिंता रहती है .,ऐसी चिंताओं से ही अंग्जायती रिसने लगती है ।
पी डी में डर का आवेग बहुत ज्यादा रहता है .इसके लक्षणों में शामिल हो सकतें हैं :
(१)रेसिंग हार्ट बीट (पल्पितेसंस )।
(२)सांस लेने में दिक्कत ।ये एहसास मैं ठीक से सांस नहीं ले पा हूँ .आई कान्त गेट एनफ एयर ।
(३)दिमाग को सब कुछ को पेरेलाईज़ ,सुन्न करदेने वाला भय ,भय का आतंक .
(४)चक्कर आना ,मिचली आना ,लाईट हेडिद -नेस (स्लाईट -ली डिज़ी और युफोरिक ,हेविंग ए तेंदेंसी टू बिहेव इन ए फ्रिवोलौस और इम्मेच्युओर वे, देट इज सिमिलर टू एन इफेक्ट ऑफ़ केफीन ,एल्कोहल और फटीग .)।
(कांपना ,कंपकंपी छूटना ,त्रेम्ब्लिंग ,पसीना छूटना ,शेकिंग ।
(५ )गला रुंधना ,चोकिंग ,सीने में दर्द महसूस करना ।
(६)हॉट फ्लशिज़(ए सडन हॉट फीलिंग सम -टाइम्सअकम्नीद बाई स्वेअतिंग एंड रेडनेस ऑफ़ दी फेस .) और सदन चिल्स (सर्दी से कपकपाना).
(७)ऊंगलियों और अंगूठों में चींटी सी चलना ,काटना ,टिंग -लिंग इन फिंगर्स और टोज़(पिंस एंड नीदिल्स )।
(८)अकसर इस भय का हावी होना -यु आर गोइंग टू गो क्रेजी और अबाउट टू डाई (मैं मर जाऊंगा ,पागल हो जाऊंगा )।
असली संकट से उपजे भय के समय ,किसी जानलेवा मुसीबत के समय ऐसा सबके साथ हो सकता है -यानी भाग खड़े होवो या मुकाबला करो संकट का अपनी जान बचाने के लिए लेकिन यहाँ -
पेनिक डिस -ऑर्डर में तो सामने कुछ है ही नही ,जो कुछ है मन में है असर ग्रस्त व्यक्ति के ,भय का डर .भय की व्याप्ति .ये लक्षण शून्य में से चले आ रहें हैं ।
सोते समय भी हो सकता है नितांत निरापद हालातों में जहां कहीं से किसी अनिष्ट की कोई आशंका ही नहीं है वहां भी विकार ग्रस्त व्यक्ति इसी खौफ में लिपटा हुआ है .कहीं फिर से वही अटेक न पड़ जाए .
अलवा इन लक्षणों के और भी स्थितियां हो सकतीं हैं पी डी में :
(१)यहपेनिक अटेक एक दम से आकस्मिक तरीके से हो सकता है जबकि सब कुछ ठीक ठाक तरीके से चल रहा था ,कोई चेतावनी नहीं ,किसी भी विध थामे नहीं थमता है एक बार शरू भर हुआ चाहिए ।
(२)हालात से तर्क से इस भय का कुछ भी तो लेना देना नहीं रहता है ,बे -बात का भय ,एक दम से असम्बद्ध ,अन -रिलेटिड टू एनी थिंग एक्सटर्नल .बाहर कुछ है ही नहीं कोई वजह कोई उत्प्रेरक इस भय का ।
(३)चंद मिनिटों में ही यह डर चला भी जाता है .(आंधी की तरह आना ,तूफ़ान की तरह जाना ,इससे ज्यादा हमारा काय शरीर ,बॉडी "फाईट और फ्लाईट "का मुकाबला कर ही नहीं सकता है ,रेस्पोंस या अनुक्रिया देर तक करने की कूवत ही नहीं है काया में ह्यूमैन एनाटोमी में .
लेकिन बारहा ये अटेक घंटों लौट लौट के आते रह सकतें हैं ।
पेनिक अटेक किसी भी तरह खतरनाक नहीं होता ,जानलेवा नहीं होता लेकिन यह तेरिफ़ाइन्ग महसूस होता है -आशंका प्रेरित होती है क्रेज़िनेस की फीलिंग्स ,दुर्दमनीय एहसास पैदा करती है यही भय व्याप्ति .पेनिक डिस -ऑर्डर इससे जुड़े पेनिक अटेक की वजह से ही भय पैदा करता है ,इसलिए भी अपने साथ लिए आता है यह अवसाद (डिप्रेशन ),अन्य अनेक जटिलताएं भीती (फोबियाज़ ),सब्सटेंस एब्युस ,आत्म ह्त्या का विचार ,मेडिकल कोम्प्लिकेसंस ।
विकार ग्रस्त व्यक्ति माइल्ड सोशल इम -पे -यार्मेंट से लेकर टोटल इन एबिलिटी की खोह में गिर सकता है -सोचता हुआ -आई कैन नोट फेस दी वर्ल्ड ।
मजेदार बात यह है ये तमाम फोबियाज़ ,भीती असली चीज़ों और घटनाओं से प्रेरित नहीं रहतें हैं इनके मूल में उसी खौफ की व्याप्ति रहती है दूसरा अटेक न पड़ जाए मुझे .बस व्यक्ति उन चीज़ों और स्थानों से छिटकने लगता है जैसे बाज़ारों .पार्को ,ओपन स्पेसीज से जहां कभी अटेक पहली मर्तबा पड़ा था ।
(ज़ारी ...)
सोमवार, 2 मई 2011
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2 टिप्पणियां:
राम राम भाई
जीवनोपयोगी जानकारियों एक महत्वपूर्ण आलेख !
shukriyaa Arvind bhai .
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