यदि इलाज़ न करवाया जाए तब बिना इलाज़ के पेनिक डिस -ऑर्डर के बहुत ही खतरनाक नतीजे निकल सकतें हैं .इसे यूं भी कह सकतें हैं जटिलताएं पेचीला पन बढ़ जाता है पी डी का ।
एक बार पेनिक अटेक भोगने के बाद व्यक्ति उन सब स्थितियों से बचके निकल ने लगता है जिनमे उसे पेनिक अटेक पड़ा था .
दे -यर इज सिच्युएशन्ल अव्होइदेन्स असोशियेतिद विद दी पेनिक अतेक्स .मसलन यदि किसी को पहला अटेक ड्राइविंग के दौरान पड़ा था तब वह ड्राइविंग से बचने लगता है होते होते एक वास्तविक फोबिया हो जाता है व्यक्ति को ड्राइविंग से ।
कुछ को "अगोरा -फोबिया "हो जाता है -उनके मन में यह बात घर बना लेती है घर में बैठे रहने से सब ठीक हो जाएगा बाहर खुले में आये ,ओपन स्पेस में आये तो फिर घिर जायेंगें ,एक ऐसी स्थिति में चले जायेंगें जहां कोई बचाने नाम लेने वाला भी न होगा .यह डर इस तरह व्यक्ति को अन्दर से कमज़ोर कर देता है इतना अशक्त बना देता है व्यक्ति बाकी की तमाम उम्र अपने आपको घर में बंद करके गुज़ारने का फैसला कर लेता है ,घर पर बने रहना ही पसंद करता है हर हाल में ।
अगर ये तमाम भीतियों से बचे भी रहे तो भी विकार ग्रस्त व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता का बे -हिसाब ह्रास होजाता है इलाज़ मयस्सर न होने पर ।
इनमे कुछ और प्रवृत्तियाँ घर बना सकतीं हैं हालिया रिसर्च के अनुसार ये इस प्रकार हो सकतीं हैं :
(१)एल्कोहल और ड्रग एब्यूज का शिकार हो सकतें हैं ये लोग ।
(२)आत्म ह्त्या की प्रवृत्ति बढ़ जाती है ।
(३)ज्यादा वक्त अस्पतालों के आपातकालीन कक्षों में व्यतीत होता है ।
(४)अपने शौक और खेल कूद में कुछ और संतोषप्रद गतिविधियों में इनका बहुत कम समय बीतता है .बीतपाता है .
(५)पैरा -साईं -टिक अस्तित्व दूसरों पर आर्थिक रूप से निर्भर रहने का रुझान पैदा होता है ।
(६)भावात्मक तथा शरीरिक दृढ़ता की कमी महसूस करतें हैं ये लोग स्वस्थ लोगों की बनिस्पत .
(७)घर से कुछ (दूर) मीलकी दूरी पर निकलने पर ड्राइविंग में इन्हें डर लगने लगता है .असुरक्षा और भी घेरने लगती है ।
घर से दूर जाने के डर से लोग ज्यादा पैसा देने वाली नौकरी छोड़ देते हैं घर के आसपास ही काम करना पसंद करने लगतें हैं चाहें पैसे थोड़े से ही मिलें ।
ज़ाहिर है ऐसे में आत्म -निर्भरता ,आर्थिक आज़ादी चुकने लगती है .पैसे पैसे के लिए ये औरों के मोहताज़ भी हो सकतें हैं ।
लेकिन इलाज़ से इन तमाम स्थितयों से बचे रहा जा सकता है एक सामान्य और भरी पूरी ज़िन्दगी की ओर लौटा जा सकता है .संतोषप्रद और फलदाई ज़िन्दगी की ओर.इसलिए इलाज़ ज़रूरी है -साइड इफेक्ट्स से बचे रहने के लिए सामान्य ज़िन्दगी जीने जीते रहने के लिए ।
(ज़ारी ...).
विशेष :अगली पोस्ट में "पेनिक डिस -ऑर्डर का इलाज़ "के बारे में पढियेगा .
मंगलवार, 3 मई 2011
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