बेशक !बा -शर्ते इलाज़ मयस्सर हो ,करवाया जाए ,नियम निष्ठ होकर ।
ला -इलाज़ रोग नहीं है पेनिक -डिस -ऑर्डर ,कई तरह की थिरेपीज़ उपलब्ध हैं ,जिनका योग असरकारी सिद्ध हुआ है जिनका इलाज़ काम याब तरीके से हुआ है मुकम्मिल हुआ है ,इलाज़ जिन्होंने नियम -निष्ठा के साथ पूरा किया है ,उन्हें फायदा हुआ है जिनके लक्षण फिर भी बने रहतें हैं ,सिच्युएश्नल एवोहिदेंस और एन्ग्जायती बनी रहती है उन्हें और इलाज़ की ज़रुरत है ,बीच में छोड़ने का न सोचें ।
एक बार इलाज़ हो जाए तो कोई स्थाई जटिलताएं इस विकार में नहीं सामने आतीं हैं ।
(ज़ारी ..).
मंगलवार, 3 मई 2011
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