(४२ )लिपो -प्रोटीन :कोलेस्ट्रोल के छोटे छोटे ग्लोबनुमा कण जिनपर प्रोटीन की एक परत चढ़ी रहती है .हमारा यकृत करता है इनका संशाधन ।
(४३)लो -डेंसिटी -लिपो -प्रोटीन :इसे बेड कोलेस्ट्रोल या अमित्र कोलेस्ट्रोल भी कहा जाता है .लिपिड और प्रोटीन का यौगिक है यह जो कुल कोलेस्ट्रोल का बहुलांश हमारे रक्त में लिए प्रवाहित होता है ,इसकी अतिरिक्त मात्रा का ही यह धमनियों की भीतरी दीवारों पर अड्डा बना लेता है .एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रति १०० सी सी खून में (एक डेसी-लीटर में )इसकी मात्रा १३० मिलीग्राम %से ज्यादा नहीं होनी चाहिए ,यह जितना कम रहे उतना ही अच्छा और एच डी एल ३५ से जितना ज्यादा ऊपर रहे (लेकिन ६० से ऊपर नहीं )उतना ही दिल के लिए ,दिमाग के लिए अच्छा रहता है .कसरत नियमित करने ,सैर करते रहने से अमित्र कोलेस्ट्रोल (एल डी एल )मित्र कोलेस्ट्रोल (हाई डेंसिटी लिपो -प्रोटीन )में तबदील हो जाता है .
(४४)मेग्नेटिक रेजोनेंस एंजियो -ग्रेफ़ी :इस रोग निदानिक इमेजिंग तरकीब के तहत पहले एक कंट्रास्ट डाई का इंजेक्शन ब्लड वेसिल में (शिरा )में लगाया जाता है ,अब इसमें प्रवाहित खून की मात्रा का जायजा लिया जाता है ,चुम्बकीय अनुनाद के द्वारा .इसका स्तेमाल दिमागी धमनियों की स्टेनोसिस (अवरोध या संक्रेपन )का पता लगाने के लिए किया जाता है .धमनी की भीतरी दीवार में कोलेस्ट्रोल प्लाक (कचरा चिकनाई )जमा होने से वह संकरी पड़ जाती है पूरा खून नहीं उठा पाती ,यही स्टेनोसिस है ,यानी नेरो -इंग ऑफ़ दी आर्टरी .
(४५)मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग स्केन:छवि अंकन की इस तरकीब में चुम्बकीय क्षेत्रों की सहायता से ऊतकों के जलीय अंश में आने वाले सूक्ष्म बदलावों को आंका जाता है ।
(४६)माइतो -कोंड्रिया:इसे कोशिका का पावर हाउस भी कहाजाता है .यह कोशिका का एक विशेषीकृत हिस्सा होता है मसलन केन्द्रक (नाभिक या क्रोड़,न्यूक्लियस )माइतो -कोंड्रियाँ,जिसका अपना एक ख़ास काम (प्रकार्य या फंक्शन )होता है .इसीलिए इन्हें कोशिका ऊर्जा पैदा करने वाले लिटिल ओर्गेंस (या ओर्गेनाल्स )कहा जाता है .
(४७)मिट्रल एन्युलर केल्सिफिकेशन :यह दिल के मिट्रल वाल्व की बीमारी है .
(४८)मिट्रल वाल्व स्टेनोसिस :इस रोग में दिल के मिट्रल वाल्व के गिर्द प्लाक जैसा कचरा जमा हो जाता है .नतीज़न इसकी स्टेनोसिस हो जाती है ,अवरोध आने लगता है इसके प्रकार्य में ।
मिट्रल वाल्व :चार कमरों वाले दिल के ऊपरी और निचले (दोनों बाएं ओर के )या फिर दिल के बाएं ओरके ही एट्रियम और वेंत्रिकिल के बीच एक ही और खुलने वाला एक वाल्व होता है जिसे मिट्रल वाल्व कहा जाता है ।
इसी के संकरे पड़ जाने का रोग है मिट्रल वाल्व स्टेनोसिस ।
(४९)न्यूरो -प्रो -टेक -टिव एजेंट्स :स्ट्रोक से पैदा होने वाली
सेकेंडरी इंजरी से न्यूरो -प्रो -टेक -टिव एजेंट्स ही बचातें हैं .प्रा -मेरी इनजरी तो स्ट्रोक पड़ते पड़ते या उसके फ़ौरन बाद हो जाती उसके बाद जो नुकसानी उठानी पडती है वही है द्वितीयक नुकसानी सेकेंडरी डेमेज ।
(५०)ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स :टोक्सिक केमिकल्स रिलीज्ड ड्यूरिंग दी प्रोसेस ऑफ़ सेल्युलर रेस्पिरेशन एंड रिलीज्ड इन एक्सेसिव आमाउन्ट्स ड्यूरिंग नेक्रोसिस ऑफ़ ए सेल .यहाँ नेक्रोसइस का मतलब कोशा की मौत है और रेस्पिरेशन का मतलब ऑक्सीजन का विभाजन वह सम्पूर्ण भौतिक और रासायनिक प्रक्रिया जिसके तहत ऑक्सीजन शरीर की हर कोशिका और ऊतक तक पहुंचाई जाती है तथा कार्बन -डाय -ऑक्साइड और जल की निकासी की जाती है ।
(ज़ारी ...)।
इस मर्तबा का शैर पढ़िए :
इन अंधेरों के शहर में आदमी ,जल रहा है झिलमिलाने के लिए
तौलतेंहैं लोग रिश्तों को यहाँ ,कुछ घटाने कुछ बढाने के लिए .(ग़ज़ल गो -श्री ज्ञान चंद मर्मज्ञ ,ब्लॉग :शब्द साधक मंच .).
बुधवार, 18 मई 2011
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