शनिवार, 7 मई 2011

ट्रीट -मेंट फॉर सोशल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर .

मेडिकेसंस:कई किस्म की दवाएं इसके प्रबंधन में आजमाई जातीं हैं लेकिन आम तौर पर सेरो -टोनिन -री -अपटेक इन्हिबिटर्स (एसएसआरआईज )को बेहद सुरक्षित समझा जाता है ।कारगर भी खासकर तब जब सिम्पटम्स बने ही रहतें हों ।
एसेसारआईज में आप शामिल कर सकतें हैं :
(१)पक्सिल (पैरोक्सितिन ).(२)ज़ोलोफ्त (सर्त्रालिन )(३)फ्ल्युवोक्सामिन (लुवोक्स ,लुवोक्स सीआर )(४)फ़्ल्युओक्सितिन (प्रोजेक ,सरफेम आदि )।
फस्ट लाइन थिरेपी में सेरो -टोनिन और नोर -एपिने -फ्राइन री -अपटेक इन्हिबिटर्स (एस एन आर आई )ड्रग :"वें -ला -फाक्सीने" (एफेक्सार एक्स्तेंदिद रिलीज़ ) का भी स्तेमाल किया जाता है ।
पार्श्व प्रभावों से बचे रहने के लिए चिकित्सक" लो- डोज़" से ही शुरुआत करते हैं धीरे -धीरे ,डोज़ का क्वांटम (मात्रा )बढ़ाई जाती है .लक्षणों में सुधार आने में तीन माह तक का वक्त लग जाता है ,इसका मतलब यह नहीं है आप इलाज़ छोड़ भाग खड़े हों ।
दवाएं और भी दी जातीं हैं मसलन :
(१)दूसरी अवसाद रोधी दवाएंभी ट्राई की जातीं हैं उपर्युक्त दवाओं के अलावा देखना होता है कौन सी ज्यादा असर कारी है और कमसे कम अवांच्छित प्रभाव पैदा करती है ।
(२)एंटी -एन्ग्जायती -दवाएं :बेन -जो -डाई -अज -उह -पेंस (बेन्जो -डाई -जा -पाइंस) एन्ग्जायती को कम कर सकतीं हैं .बेशक जल्दी असर करती हैं इस वर्ग की दवाएं लेकिन इनकी आदत पड़ जाती है .इसलिए इनका स्तेमाल भी अल्पावधि के लिए ही किया जाता है ।
सेडेशन भी पैदा कर सकतीं हैं ये दवाएं .
(३)बीटा -ब्लोकर्स :ये दवाएं एड्रीनेलिन (एपिने -फ्राइन )के उद्दीपक प्रभाव को कम करतीं हैं .हार्ट रेट ,ब्लड प्रेशर को कम कर सकतीं हैं ये दवाएं .पौन्डिंग ऑफ़ हार्ट ,शेकिंग वोईस और लिम्ब्स जैसे लक्षणों में सुधार ला सकती हैं .ये किसी लक्षण विशेष मसलन कभी कभार संभाषण के समय काम में ली जा सकती हैं नियमित नहीं .(दिल की बीमारियों में प्रयुक्त होतीं हैं ये दवाएं ,दिल की लय को नियमित रखने में मदद करतीं हैं ।
यदि इलाज़ जल्दी असर नहीं भी करता है तब दवा मत छोडिये .हफ़्तों और महीनो भी इंतज़ार करना पड़ सकता है ,लक्षणों में सुधार आयेगा ज़रूर सही दवा तक पहुँचने में क्लिक करने में वक्त लग सकता है .ट्रायल एंड एरर रहती है ।
कुछ लोगों में वक्त के साथ लक्षण एक दम से हलके पड़ जातें हैं .दवा बंद की जा सकती है .लेकिन कई को सालों - साल दवा लेनी पडती है ताकि लक्षण दोबारा प्रगट न हों ।
(ज़ारी ...).

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