रविवार, 8 मई 2011

सोशल एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर .(सोशल फोबिया ):डॉ .से कब मिलें ?

अगर आम सामाजिक गतिविधियों अवसरों पर पहुँचने पर आपको अपनी बेहद फजीहत होती महसूस होती है ,आप शर्म -शारी से गढ़ जातें हैं .हर अवसर पर यही होने लगा है .तब यही वक्त है अपने चिकित्सक के पास पहुँचने का .हो सकता है आपका फिजिशियन (फेमिली डॉ )आपको किसी मनो -रोगों के माहिर के पास भेज दे .
वही रोग सटीक निदान के बाद आपके इलाज़ की पहल अपने हाथ में लेगा ।
आप कैसे अपने मनो -रोग -विद की सही रोग निदान में मदद कर सकतें हैं :
(१)आप जो भी लक्षण महसूस करते रहें हैं और जब से भी यह सिलसिला चल रहा है सब कुछ लिख कर ले जाएँ ।
अकसर इनका प्रगटीकरण किशोरावस्था में होने लगता है .डॉ के लिए यह जानना दिलचस्प और ज़रूरी रहता है ,आपके लक्षण किस तरह उग्र और शमित या कमतर होते रहें हैं .,शुरुआत के बाद से ।
(२)मुख्य व्यक्ति -गत सूचना अपने बारे में ज़रूर ज़रूर लिख लें .खासकर इन लक्षणों की गिरिफ्त में आते आते क्या कुछ बदलाव आपके जीवन में आये,
आते गए .
आरहें हैं ।
आखिर प्रेरक तत्व, ट्रिगर क्या रहा, इन लक्षणों का ,पदोन्नति ,नए लोगों से भेंट ,कामकाज,धंधा -धौरी में तबदीली ,माहौल बदल .कोई सामाजिक डिमांड ,तकाजा ?
(३)अपना पूरा चिकित्सा वृत्तांत ,कायिक या मानसिक स्वास्थ्य से जुडी स्थितियां (फिजिकल एंड मेंटल हेल्थ कंडीशंस ,कब किस मोड़ पर क्या हुआ ,घटित हुआ )।
दवा दारु जो आप लेते रहें हैं उसका रिकार्ड साथ ले जाइए .गोल्ड है यह (सभी को इसे संभाल के रखना चाहिए ।).
अपने साथ अपने दोस्त अन्य विश्वाश पात्र को ले जाइए .कई मर्तबा डॉ द्वारा आपको दी गई सारी सूचनाएं न तो आप ज़ज्ब कर पातें हैं और न आपको याद रहतीं हैं .दोनों मिलके ज्यादा बातें गांठ में बाँध सकतें हैं ।
आप जो कुछ डॉ से पूछना जानना चाहतें हैं सब लिखके ले जाइए .आप कुछ बातें जो पूछ सकतें हैं :
(१)आखिर मेरे लक्षणों को के लिए कौन दोषी हैं ,क्यों ऐसा हो रहा है मेरे साथ ।
(२)इसके अलावा और कोई संभावित वजह भी हो सकती है इन लक्षणों की ?
(३)आप मेरे रोग निदान तक कैसे पहुंचेंगे ?
(४)आप अपने काया -चिकित्सक से भी पूछ सकतें हैं :क्या मुझे किसी मानसिक रोगों के माहिर से मिलना चाहिए ।
आपको बतलादें-भारत में अभी भी इन विकारों ,दिमागी बीमारियों को नजर अंदाज़ किया जाता है .कह देतें हैं शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा .बच्चे होने के बाद और भी ठीक ।खाम खयाली है यह ,स्थिति बाद से बदतर हो जाती है .
(५)क्या मेरी यह दशा अस्थाई है या बने रहने वाली है ।
(६)क्या इस स्थिति के लिए आपके पास मुकम्मिल,कारगर और पुख्ता इलाज़ है ।
(७)क्या इलाज़ के बाद में इन सामाजिक स्थितियों का सामना कर सकता है ,जो आज मुझे नर्वस किये जाएँ हैं ।
(८)क्या मुझे दूसरे मानसिक रोगों का भी ख़तरा है ?
(९)क्या कुछ सामिग्री इस रोग के बारे में आपके पास उपलब्ध है ,कौन सी वेब -साइटों पर में जा सकता हूँ ।
(ज़ारी ...).

2 टिप्‍पणियां:

Dr Varsha Singh ने कहा…

सारगर्भित पोस्ट...

virendra sharma ने कहा…

शुक्रिया ,वर्षाजी!तहेदिल से आपका .आपकी नै ग़ज़ल का इंतज़ार है .