हेमो -रेजिक स्ट्रोक ,कब और कैसे ?
एक स्वस्थकामकाजी दिमाग में न्युरोंस का रक्त सेसीधे संपर्क ही नहीं हो पाता है .दिमागी केश -नलिकाओं (सेरिब्रल केप्लारीज़ )की महीनतर दीवारेंही दिमागी कोशिकाओं (न्युरोंस )को आवश्यक पुष्टिकर तत्व और ऑक्सीजन से खून से लेकर मुहैया कारवा देतीं हैं .
नर्वस सिस्टम की कोशिकाएं न्युरोंस को टेका भी लगाए रहतीं हैं और इनकी हिफाज़त भी करतीं हैं .इन्हें ग्लियाकहा जाता है .यही कोशिकाएं एक ब्लड ब्रेन बेरिअर खडा करतीं हैं .यही बेरियर इस बात को तय करता है ,विनियमन करता है ,खून में से कौन से तत्वों को न्युरोंस से गुजरने की इजाज़त दी जाए ।
लेकिन जब दिमाग में कोई धमनी (दिमागी धमनियों में से कोई एक धमनी फट जाती है )फट जाती है ,इनमे बहने वाला खून आसपास के ऊतकों को भी संसिक्त कर देता है ,ऐसे में न सिर्फ रक्तापूर्ति असर ग्रस्त होती है ,वह नाज़ुक रासायनिक संतुलन भी प्रभावित हो जाता है जो न्युरोंस के कामकाज के लिए ज़रूरी होता है .यही हेमो -रेजिक स्ट्रोक है .आम भाषा में कह देतें हैं दिमागी नाली फट गई ।
२० %स्ट्रोक हेमो -रेजिक ही होतें हैं ।
हेमरेज बहु -विध हो सकता है ।
(१)ए ब्लीडिंग अनयूरय्स्म बिकम्स दी कॉज़ .धमनी की दीवार पर मौजूद एक कमज़ोर और नाज़ुक स्थल (स्पोट )ब्लीडिंग आन्नियू -रिज्म है .इसकी फटन ही हेमरेज है .अंदरूनी रक्त स्राव है ।
हाई -आर्तीरिअल प्रेशरसे कालान्तर में यही वीक स्पोट्स गुब्बारे की तरह फूल कर फट जातें हैं .बस दिमागी कोशाओं को घेरे रहने वाला स्पेस खून से तर बतर हो जाता है ।
हेमरेज तब भी होता है जब धमनियों की दीवारें टूट के खुल जाती हैं .किसी ट्यूब (तरल वाही -पाइप )की फटन सी .
जिन आर्त्रीज़ पर प्लाक जमा हो जाता है वह वैसे भी अपनी लोच खोकर ब्रिटिल (भंगुर )हो जातीं हैं ,महीनतर भी ।
हाई ब्लड प्रेशर (हाई -पर -टेंशन ) इस भंगुर हो चुकी आर्टरी की फटन के जोखिम को शिखर पे ले जाता है .इन्टरनल ब्लीडिंग के जोखिम को बढा देता है ।प्लाक आम भाषा में चिकनाई का नाम है ,चिकनाई जिसमे ,कोलेस्ट्रोल भी है ,ग्लीस -राइड्स भी .
"ए पर्सन विद ए आर्ट -इरियो -वेनस -माल -फोरमेशन (ए वी एम् )आल्सो हेज़ एन इन -क्रीज्द रिस्क ऑफ़ हेमो -रेजिक स्ट्रोक "
ए वी एम्स :दीज़ आर ए टेंगिल (जम्बिल्ड मॉस )ऑफ़ डिफेक्टिव ब्लड वेसिल्स एंड केपिलारीज़ विध -इन दी ब्रेन देट हेव थिन वाल्स एंडकैन देयरफोर रप -चर .
रक्तस्राव जो धमनियों के फटने से होता है वह दिमाग को घेरे रहने वाले कोटर (हिस्सों ,स्पेसीज )तक भी पहुँच सकता है दिमागी पदार्थ (सब्सटेंस ऑफ़ दी ब्रेन ).तक भी ।
सब -आर -चेनोइड हेमरेज :यह मेनिन्जिज़ के नीचे होने वाला रक्त स्राव है .(तीन झिल्लियाँ दिमाग और रीढ़ - रज्जू को हिफाज़ती तौर पर घेरे रहतीं हैं ,इन्हें ही -डूरा -मटेर,,दी आर्च नोइड मटेर तथा पिया मटेर कहा जाता है ।).
यह रक्त स्राव उस "थिन फ्लुइड फिल्ड स्पेस "तक पहुँच जाता है जो दिमाग को हिफाज़ती तौर पे घेरे रहता है .इस प्रकार के हेमरेज में व्यापक नुकसान होता है .क्योंकि वह सेरिब्रो -स्पाइनल फ्लुइड (दिमागी तरल )ही संदूषित हो जाता हैजो पूरी खोपड़ी में क्रेनियम में प्रवाहित होता है , खून के झिल्लियों के बीच पहुँचने से .यही सबसे घातक किस्म का ब्रेन -अटेक (स्ट्रोक )है ,सब -आर्च - नोइड हेमरेज है ।
(ज़ारी ...).
सोमवार, 9 मई 2011
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3 टिप्पणियां:
उपयोगी आलेख!
शुक्रिया !ज़नाब !आप तशरीफ लाये ।
शुक्रिया !
बहुत बहुत शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए!
बहुत सुन्दर और उम्दा आलेख! बेहतरीन प्रस्तुती!
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