मंगलवार, 17 मई 2011

स्ट्रोक :पारिभाषिक शब्द प्रयोग .(ज़ारी ....).

(३६)फंक्शनल मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग :एक प्रकार की छायांकन तकनीकी है जो दिमाग के अन्दर अंदर बढ़ने वाले रक्त प्रवाह का पता लगाती है .इट मेज़र्स इन्क्रीज़िज़ इन ब्लड फ्लो विद इन दी ब्रेन ।
(३७)हेमी -परेसिस :स्ट्रोक के बाद शरीर के किसी एक पार्श्व में आने वाली आंगिक कमजोरी ।
(३८)ग्ल़िया:इसे न्यूरो -ग्ल़िया भी कहा जाता है .यह नर्वस सिस्टम (हमारे स्नायुविक तंत्र )की सहायक कोशायें हैं जो ब्लड -ब्रेन -बेरियर रचतीं हैं प्रमुख ,खासुल- ख़ास न्युरानों (दिमागी तंत्र की कोशाओं )को पुष्टिकर तत्व और ऑक्सीजन मुहैया करवातीं हैं तथा न्युरानों को रोग संक्रमण से बचाती हैं .विषाक्तता से भी तथा ट्रौमा से भी न्युरोंस का बचाव करतीं हैं नर्वस सिस्टम की ये सहायिकाएं ।
(३९)हेमी -प्लीजिया :शरीर के किसी एक पार्श्व के अंगों का पक्षाघात (फालिज ,लकवा )ग्रस्त हो जाना ।
(४०)हेमो -रेजिक स्ट्रोक :सडन ब्लीडिंग इनटू एंड अराउंड दी ब्रेन .दिमाग मेंभीतर भीतर यकायक रक्त स्राव होना ,सैलाब आ जाना खून का दिमाग के अंतराल -आकाश में .दिमाग के गिर्द .जिसे आम भाषा में कह देतें हैं दिमाग के अन्दर रक्त पहुचाने वाली किसीखून की नाली(आर्टरी या धमनी ) का दिमाग के अन्दर फट जाना ,दिमाग की कोई नस(ब्लड वेसिल ) फट जाना .
(४१ )हाई -डेंसिटी -लिपो -प्रोटीन (मित्र कोलेस्ट्रोल ):यह लिपिड और प्रोटीन का एक यौगिक है ,यह शरीर के कुल कोलेस्ट्रोल का थोड़ा सा हिस्सा रक्त में ले जाता है और आखिर कार इसे यकृत में लेजाके विसर्जित कर देता है ।
(४२ )होमीओ -स्टेसिस:कोशा में मौजूद तमाम तरह के तरल पदार्थों और रसायनों के संतुलन कीएक अवस्था को ,तमाम ऊतकों कुल मिलाके पूरे शरीर में तरल की साम्यावस्था को ,संतुलन को कहा जाता है होमीओ -स्टेसिस .
(४३).हाई -पर -टेंशन :या हाई -ब्लड -प्रेशर धमनियों में प्रवाहित रक्त से दीवारों पर पड़ने वाला ऐसा दाब है जिसका मान या तो १४०/९० हो या इससे भी ज्यादा ।
ऊपरी पाठ को सिस्टोलिक तथा निचले को डाय -स्टोलिक रक्त दाब कहा जाता है .इसे मिलीमीटर ऑफ़ मरकरी में अभी व्यक्त किया जाता है .यानी पारे के एक उर्ध्वाधर स्तम्भ की ऊंचाई जो मिलीमीटर में रहती है जब पारा सर्वाधिक ऊंचाई को और फिर निम्नतर मान को इस स्तम्भ पर जड़े एक पैमाने पर छूता है . एक काफ को बाजू से कसके बांधा जाता है और फिर एक रबर के बल्ब को दबाया जाता है जबतक ध्वनी कान में न सुनाई पड़े ।दो बार सुनाई देती है यह ध्वनी पहली अधिकतम दाब के वक्त दूसरी निम्नतम के .
इसे "स्फिग्मा -मैनो -मीटर "से नापा जाता है .आप सभी ने यह यंत्र देखा है .
सिस्टोलिक प्रेशर वेंत्रिकिल्स का सिक्डाव होता है ,अधिकतम दाब होता है यह ,आम भाषा में कहें तो यह दिल का सिकुड़ना है ,स्क्वीज़ होना है इस दरमियान खून धमनियों में भेजा जाता है यानी दिल से बाहर उलीचा जाता है .तथा डाय -स्टोलिक हृद -कक्षों (हार्ट चेम्बर्स )का लयात्मक फैलाव ,प्रसार जब ये रिलेक्स होके रक्त से भर जातें हैं .दिल आराम फरमाता है दो लुब डूब आवाजों के बीच के अंतराल में .
(ज़ारी....)।
इस मर्तबा का शैर सुनिए :
इन सफीलों में वो दरारें हैं ,
जिनमें बसकर नमी नहीं जाती ,
एक आदत सी हो गई है तू ,
और आदत कभीं नहीं जाती ।
ये जुबां हमसे सी नहीं जाती ,
ज़िन्दगी है कि जी नहीं जाती ।
मुझको ईसा बना दिया तुमने ,
अब शिकायत भी की नहीं जाती ।
मयकशों मय नहीं लेकिन ,
इतनी कडवी के पी नहीं जाती ।
ज़िन्दगी है के जी नहीं जाती .

1 टिप्पणी:

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

असल प्रष्न विष्वास का है । सांईस के युग में सबूत बिना विष्वास कैसे हो ? यही वजह है इंसान उम्र भर भटकता रहता है । आज बापू और बाबा बढ तो गए ,पर षांति आसपास भी नहीं दिखाई दे रही । हर तरफ टेंषन है ।