इलाज़ के अभाव में यह विकार एक दम से अशक्त बना सकता है व्यक्ति को .एक दम से नाकारा और जीवन को निरुद्देश्य बना के रख सकता है यह विकारजीवन को तबाह भी कर सकता है .कामकाज दैनिकी में ही खलल आने लगती है .संबंधों पर आंच आती है .आपको "अंडर -अचीवर "माना समझा जाने लगता है ।
जबकि हकीकत में आपको पीछे ठेलते रहने वाला आपका खुद का भय है ,आप भी अच्छा कर सकतें हैं लोगों से बेहतर कर सकतें हैं ।
अलबता विकार के गंभीर रुख लेने पर स्कूल कोलिज दफ्तर सब छोड़ना पड़ सकता है .दोस्ताना भी छूट जाता है । विकार को हलके में न लें ।
अलावा इसके आप :
(१)सब्सटेंस एब्यूज की चपेट में आ सकतें हैं ।
(२)बेहिसाब शराब पीना शुरू कर सकतें हैं ।
(३)अवसाद ग्रस्त हो सकतें हैं ।
(४)आत्म ह्त्या भी कर सकतें हैं .प्रवृत्ति तो पैदा हो ही जाती है ,जोर भी मारती है ।
(ज़ारी ...).
शनिवार, 7 मई 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें